मीडिया को दी खबर तो कांस्टेबल के खिलाफ दाखिल हुई चार्जशीट
अहमदाबाद। अहमदाबाद पुलिस मुख्यालय में नियुक्त एक कांस्टेबल के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है। उस पर आरोप है कि उसने पुलिस परिसर के भीतर पुलिस के जुआ खेलने की गतिविधि के बारे में मीडिया को जानकारी दी थी।
हालांकि, कांस्टेबल ने दावा किया है कि इस मामले में वह शामिल नहीं था। अपने वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ पिछले उत्पीड़न की शिकायत के लिए उसे निशाना बनाया जा रहा है। 25 दिसंबर, 2015 को कांस्टेबल और एक सहायक उप निरीक्षक सहित सात पुलिस अधिकारी पुलिस मुख्यालय के रूम नंबर 20 में जुआ खेल रहे थे।
मामले के प्रकाश में आने के बाद में वरिष्ठ अधिकारियों ने इस घटना की जांच की शुरुआत की और रूम नंबर 20 के प्रमुख के हेमू मास्टर सहित दोषी पुलिसवालों पर कार्रवाई की शुरुआत की। इसके साथ ही इस बात की भी जांच की गई कि घटना की जानकरी और संबंधित वीडियो मीडिया को किसने मुहैया कराए।
इसके नौ महीने बाद, कांस्टेबल रमेश कुमार बारोट को चार्जशीट जारी कर दी गई। कहा गया कि उसने घटना के बारे में उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित नहीं किया था और इसके बजाय पुलिस मुख्यालय को बदनाम करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को जुआ और अन्य संबंधित जानकारी के वीडियो मुहैया कराए।
बारोट ने बताया कि उसका इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बावजूद 22 सितंबर 2016 को उसे आरोप पत्र जारी कर अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया था। 21 और 31 दिसंबर की कॉल डिटेल चेक करने के बाद में बरोट को इसका जिम्मेदार ठहराया गया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कॉल रिकॉर्ड्स से साबित हो गया बरोट ने ही पत्रकारों को सूचना दी।
उन्होंने बताया कि यदि बरोट 10 दिनों में अपनी बेगुनाही साबित करने में विफल होते हैं, तो माना जाएगा कि उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है और उनके खिलाफ बॉम्बे पुलिस एक्ट 1956 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
प्रभारी जेसीपी (मुख्यालय) पीयूष पटेल ने कहा कि पुलिस का जुआ खेलते हुए वीडियो मीडिया में सामने आया था। हमने इसके दोषी लोगों के खिलाफ जांच शुरू की थी, उन्हें गिरफ्तार किया गया और कार्रवाई की।
हालांकि, बारोट को इसके बारे में जानकारी थी, लेकिन उसने वरिष्ठ पुलिस को सूचित नहीं किया, इसलिए उस पर भी आरोप लगे हैं। इस मामले में बारोट ने कहा कि मुझे इस घटना के बारे में कुछ भी नहीं पता था।
करीब एक साल पहले एक पुलिस अधिकारी की शत्रुतापूर्ण व्यवहार से तंग आकर मैंने नियंत्रण कक्ष में फोन किया था और उन्हें बताया कि मैं आत्महत्या कर लूंगा। इस मामले में मेरे खिलाफ जांच भी बिठाई गई है। नियंत्रण कक्ष में फोन करने के लिए मुझे निशाना बनाया जा रहा है।