मुंबई शहर में अब तक नौ फर्जी वैक्सीन शिविर लगाए जाने की जानकारी मिली है। महाराष्ट्र सरकार ने बांबे हाई कोर्ट को गुरुवार को बताया कि मुंबई में अब तक 2,053 लोग कोरोना रोधी टीकाकरण के फर्जी शिविरों के शिकार बने हैं। राज्य सरकार के अधिवक्ता मुख्य लोक अभियोजक दीपक ठाकरे ने कोर्ट को बताया कि शहर में अब तक कम से कम नौ फर्जी शिविरों के सिलसिले में चार अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। राज्य सरकार ने इस मामले में जारी जांच संबंधी स्थिति रिपोर्ट भी अदालत में दाखिल की। पीठ को महाराष्ट्र की ओर से सूचित किया गया पुलिस ने अब तक 400 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। जांचकर्ता आरोपित डाक्टर का पता लगाने में जुटे हैं। कोर्ट ने बीएमसी व राज्य सरकार से कहा कि वे इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 29 जून को अदालत के सवालों और निर्देशों से संबंधित जवाब के साथ अपने हलफनामे दाखिल करें।
उपनगर कांदीवली की एक आवासीय सोसाइटी में फर्जी टीकाकरण शिविर लगा था। उस मामले में एक डाक्टर आरोपित है। ठाकरे ने कहा कि कम से कम 2,053 लोग इन फर्जी टीकाकरण शिविरों का शिकार बने। इन शिविरों के आयोजन के मामले में चार प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। कुछ आरोपितों की पहचान हो चुकी है, वहीं अनेक अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई है। पीठ ने राज्य की रिपोर्ट स्वीकार करते हुए कहा कि राज्य सरकार और निगम अधिकारियों को इस बीच पीड़ितों में फर्जी टीकों के दुष्प्रभाव का पता लगाने के लिए उनकी जांच करवाने के लिए कदम उठाने चाहिए। उसने कहा, हमारी चिंता इस बात को लेकर है कि टीका लगवाने वाले इन लोगों के साथ क्या हो रहा है। उन्हें क्या लगाया गया और फर्जी टीके का क्या असर पड़ा।
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने बताया कि हमें पता चला है कि जिस दिन लोगों को फर्जी टीका लगाया गया उन्हें टीकाकरण प्रमाण-पत्र उसी दिन नहीं दिया गया। ये प्रमाण-पत्र बाद में तीन अलग-अलग अस्पतालों के नाम पर जारी किए गए। तब जाकर लोगों को यह अहसास हुआ कि कहीं कुछ गड़बड़ है। इन अस्पतालों ने कहा कि उन शिविरों में जिन शीशियों का इस्तेमाल हुआ वे उन्होंने उपलब्ध नहीं करवाईं। हमने इस बारे में सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया को भी पत्र लिखा है।