व्यापार

मुंबई से यूरोप तक मालगाड़ी चलाएगी मोदी सरकार!

99316-googs-trainनई दिल्ली : मोदी सरकार आने वाले वक्त में मुंबई से यूरोप तक माल ढुलाई के लिए अहम मानी जा रही अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) प्रोजेक्ट को पूरी तरह से रेल लाइन पर आधारित बनाने के लिए पाकिस्तान रेलवे से पारगमन सुविधा प्राप्त करने के प्रयास शुरू करेगी। भारत अभी इस कॉरिडोर से मुंबई के जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह से जुड़ा हुआ है।

यह कॉरिडोर ईरानी समुद्र तट पर बंदर अब्बास से उत्तरी ईरान में कैस्पियन सागर के तट पर बंदर अंजाली तक रेलमार्ग से तथा वहां से कैस्पियन सागर में रूस के अस्त्राखान तक समुद्रीमार्ग और अस्त्राखान से सेंट पीटर्सबर्ग तक रेलमार्ग पर बनाया गया है। इस परियोजना को भविष्य में दक्षिण एवं पश्चिम एशिया तथा यूरोप एवं मध्य एशिया के बीच अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख मार्ग के रूप में देखा जा रहा है। 

संवाद एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस, अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान की यात्रा तथा भारत-ईरान संयुक्त आयोग की बैठक में इस परियोजना की समीक्षा की गई और इसमें अवरोधों को दूर करने एवं अधिक उपयोगी बनाने पर सहमति बनी है। भारत ने पाकिस्तान के लाहौर को ईरान की पूर्वी सीमा पर जायदान से रेलवे लाइन को जोड़े जाने के प्रस्ताव को आगे बढ़ाना शुरू किया है। हाल ही में तेहरान में हुई एक बैठक में भारतीय रेलवे के अधिकारियों ने इस प्रस्ताव पर चर्चा की है। 

उन्होंने बताया कि भारत से लाहौर के बीच रेलवे लाइन चालू है। उस पर समझौता एक्सप्रेस संचालित होती है। पाकिस्तान रेलवे का ईरान के रेलवे से जायदान सीमा पर संपर्क है। अगर पाकिस्तान भारत से मालगाड़ियों को जायदान तक पारगमन की इजाजत दे दे और ईरान में बंदर-अंजाली के पास रष्ट से लेकर ईरान-अजरबैजान सीमा पर अस्तरा तक रेलवे नेटवर्क बन जाए तो भारत से सीधे सेंट पीटर्सबर्ग तक रेलवे नेटवर्क होगा। 

सूत्रों का कहना है कि खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के लिहाज से पाकिस्तान के लिए भारत की ओर से आने वाला प्रस्ताव कई मायने में लाभदायक हो सकता है। पाकिस्तान अगर रेलवे पारगमन सुविधा दे देता है तो वह भी इस बहुदेशीय परियोजना में शामिल हो सकता है और उसके विदेश व्यापार में भी खासा इजाफा हो सकता है। इसके साथ ही भारत ने ईरान सरकार के साथ रष्ट से लेकर अस्तरा तक रेलवे नेटवर्क बनाने की संभावनाओं पर बात की है। 

आईएनएसटीसी के बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में सितंबर 2000 में भारत, ईरान और रूस ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत यूरोप एवं रूस के लिए भारत से माल परिवहन का एक वैकल्पिक मार्ग का प्रस्ताव किया गया था। इस परियोजना में मुंबई से सड़क मार्ग से ईरान के बंदर अब्बास तक समुद्री मार्ग से, वहां से देश की उत्तरी सीमा पर अमीराबाद बंदरगाह से कैस्पियन सागर में रूस के अस्त्राखान बंदरगाह तक पुन: समुद्री मार्ग से तथा अस्त्राखान बंदरगाह से आगे रूस के सेंट पीटर्सबर्ग तक रेलमार्ग से माल परिवहन करने का प्रस्ताव रखा गया। 

एक अन्य मार्ग बंदर अब्बास से सड़क मार्ग से अजरबैजान की राजधानी बाकू और वहां से रेलमार्ग से आगे माल परिवहन का प्रस्ताव भी है, लेकिन इस मार्ग में ईरान में बंदर-अंजाली के पास रष्ट से अस्तरा के बीच संपर्क का अभाव एक बाधा है। सितंबर 2014 में भारत की पहल पर मुंबई से बंदर अब्बास और वहां से कैस्पियन सागर में अमीराबाद बंदरगाह से अस्त्राखान बंदरगाह और फिर वहां से रेलमार्ग से सेंट पीटर्सबर्ग तक का खाली कंटेनरों का ड्राई रन किया गया था, जो पारंपरिक स्वेज नहर और अटलांटिक महासागर के मार्ग की तुलना में लागत में 40 फीसदी सस्ता और मालवहन अवधि में 30 प्रतिशत की बचत वाला साबित हुआ है। इसके बाद सदस्य देशों ने इस परियोजना पर अधिक दिलचस्पी दिखानी शुरू की। 

Related Articles

Back to top button