मुख्यमंत्री का नाम लेकर अस्पताल से बच्चा ले भागी बच्चाचोर
पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे से युवती के फुटेज निकलवाए हैं, लेकिन युवती ने हर समय अपना चेहरा दुपट्टा से ढक रखा था।
बाबूपुरवा निवासी मजदूर सुनील के घर 26 जनवरी को एक युवती पहुंची।
उसने अपना चेहरा ढक रखा था। युवती ने बताया कि मुख्यमंत्री की योजना के तहत जिन बच्चों की मां की मौत हो जाती है उन्हें सरकार 50 हजार रुपये देती है। सुनील की पत्नी की दो साल पहले मौत हो चुकी थी।
वह अपने पीछे ढाई साल का विनायक और साढ़े पांच साल की बेटी वर्षा छोड़ गई। युवती के झांसे में सुनील और उसकी मां राजेश्वरी फंस गए। युवती ने खुद को हैलट के डॉक्टर की पत्नी बताया और कहा कि योजना का लाभ दिलाने पर उसे 15 हजार रुपये कमीशन मिलता है।
28 जनवरी को युवती ने फिर से बुलाया लेकिन सुनील के साथ होने पर अस्पताल बंद होने का बहाना बना दिया। शुक्रवार सुबह 11 बजे युवती ने मोबाइल नंबर से सुनील के मोबाइल पर फोन किया और बच्चों को दादी के साथ ही टाट मिल बुलाया।
राजेश्वरी अपनी बेटी सीमा, विनायक व वर्षा के साथ हैलट पहुंच गईं। यहां युवती ने दोनों बच्चों के नाम से ओपीडी काउंटर पर पर्चा बनवाया। इमरजेंसी के बाहर सभी को बैठाकर पहले वर्षा को अंदर ले गई। थोड़ी देर बाद वर्षा को राजेश्वरी के पास छोड़कर विनायक को ले गई।
15 मिनट तक जब युवती नहीं लौटी तो उसके फरार होने का पता चला। स्वरूप नगर थाने में पिता की तरहीर पर अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। परिजनों के शोर मचाने पर पहुंची पुलिस पुलिस ने जब पड़ताल की तो इमरजेंसी का सीसीटीवी कैमरा खंगाला गया। इसमें युवती विनायक को ले जाते हुए कैद हुई है।
दोपहर करीब 12.15 बजे सफेद कपड़ा और सफेद-काला धारीदार स्वेटर पहने युवती इमरजेंसी में विनायक को गोद में लेकर दाखिल हुई और आईसीयू के गेट के रास्ते बाहर चली गई। हैलट चौकी पुलिस रिकॉर्डिंग के आधार पर छानबीन की बात कह रही है।
युवती जब भी पीड़ित परिवार से मिली तो मुंह पर दुपट्टा बांधे रही। राजेश्वरी ने पुलिस को बताया कि दोनों बच्चों के भविष्य को देखते हुए वह युवती के झांसे में फंस गई। युवती उससे रुपये भी नहीं ले रही थी इसलिए उसे लगा कि वह 50 हजार दिला देगी।
चाइल्ड लाइन के समन्यवयक विनय ओझा ने बताया, चोरी के बाद ऐसे बच्चों को ज्यादातर निसंतान दंपतियों को बेचा जाता है। कम उम्र के बच्चों को डिमांड के अनुसार गिरोह के लोग उठाते हैं। किसी की डिमांड लड़की खरीदने की होती है तो किसी की लड़के की।
वैसे ज्यादा डिमांड कम उम्र के लड़कों की होती है। यदि बच्चे को बेचने के लिए नहीं उठाया जाता है तो उससे भीख मंगवाई जाती है या उसके अंगों को बेचा जाता है। यदि बच्चे की उम्र ज्यादा है तो घरेलू कार्यों में भी लगाया जाता है।