उत्तराखंड

मुख्यमंत्री को लोकायुक्त के दायरे में लाने की सिफारिश

देहरादून : मुख्यमंत्री को बिना शर्त लोकायुक्त के दायरे में लाने की प्रवर समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है। विधनसभा के लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना अध्किार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उपलब्ध् करायी गयी प्रवर समिति की रिपोर्ट की प्रतिलिपि से प्रकाश में आया कि इस सिपफारिश के अतिरिक्त 63 में से 42 धराओं में संशोध्न की सिपफारिश की है। काशीपुर निवासी सूचना अध्किार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने विधनसभा के लोक सूचना अधिकारी से लोकायुक्त अधिनियम 2017 पर प्रवर समिति की रिपोर्ट की सूचना मांगी। इसके उत्तर में विधनसभा के लोक सूचना अधिकारी/वरिष्ठ शोध् एवं सदर्भ अधिकारी मुकेश सिंघल ने उत्तराखंड लोकायुक्त अधिनियम 2017 पर प्रवर समिति की रिपोर्ट की सत्यापित पफोटो प्रति नदीम को उपलब्ध् करायी है। श्री नदीम को उपलब्ध् करायी गयी प्रवर समिति की रिपोर्ट में लोकायुक्त अधिनियम की कुल 63 धराओं में से 42 धरा मेें संशोध्न की प्रवर समिति ने सिपफारिश की है। इसमें से 7 धराओं को हटाने की सिपफारिश की है। विधयी एवं संसदीय कार्य मंत्राी प्रकाश पंत की सभापतित्व वाली समिति ने रिपोर्ट 15 जून 2017 को विधनसभा मेें प्रस्तुत की गयी है।

इस प्रवर समिति के सदस्यों में सभापति सहित कुल 7 सदस्य शामिल है। इसमें मुन्ना सिंह चौहान, महेन्द्र भट्ट, केदार सिंह रावत, संजीव आर्य, प्रीतम सिंह तथा काजी मौ. निजामुद्दीन शामिल हैं। प्रवर समिति की रिपोर्ट में लोकायुक्त अधिनियम 2017 को जिन सात धराओं को हटाने की सिपफारिश कर है उसमें धरा 11,12,17,18,28,30 व 56 शामिल है। इसके अतिरिक्त 35 धराओं में संशोध्न की सिपफारिश की है उसमें धरा 2 से 10, 13, 14, 16, 19,20, 22, 23, 25, 26, 27, 29, 31, 32, 34, 36 से 39, 43, 45, 47, 51 से 54, 56, 59, 60 तथा 63 शामिल है। प्रवर समिति में जिन सात धराओं को हटाने की सिफारिश की है उसमें धरा 11 में जांच के लिये जांच प्रकोष्ठ की स्थापना, धरा 12 में अभियोजन प्रकोष्ठ के गठन, धरा 17 में न्यायपीठों के बीच कार्य का वितरण,धरा 28 में राज्य सरकार के अध्किारियों की सेवाओं का उपयोग करने की शक्ति, धरा 29 में सम्पत्तियों की अनन्तिम कुर्की की शक्ति तथा धरा 56 में अवमानना के लिये दण्डित करने की लोकायुक्त की शक्तियों सम्बन्ध्ी प्रावधन शामिल है। उल्लेखनीय है कि धरा 56 के प्रावधनों के अनुसार लोकायुक्त के कार्य में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से किसी लेख का प्रकाशन या प्रसारण करने पर लोकायुक्त की अवमानना का दोषी माना जायेगा और लोकायुक्त उसे छःमाह तक की सजा दे सकेगा। प्रवर समिति में इस प्रावधन को हटाने की सिफारिश की है। प्रवर समिति ने जिन प्रावधनों में संशोध्नों की सिपफारिश की है उसमें लोकायुक्त की अध्किारिता सम्बन्ध् धरा 14 के प्रावधन शामिल है।

सिफारिश के अनुसार जहां लोकायुक्त की जांच के दायरे में मुख्यमंत्राी सहित सभी लोक सेवक बिना शर्त आयेंगे वहीं लोकायुक्त स्व प्रेरणा से किसी मामले की जांच नहीं कर सकेगा। मूल अधिनियम में मुख्यमंत्राी के विरुद शिकायत की जांच के लिये यह शर्त लगायी गयी है कि मुख्यमंत्राी या मुख्यमंत्राी रहे व्यक्ति के विरुद जांच तभी की जा सकती है जब अध्यक्ष व सभी सदस्यों की पूर्बा पीठ जांच प्रारंभ करने के लिये विचार करें तथा उसके चार सदस्य अनुभोदन करें। ऐसी जांच बंद कमरे में होगी और शिकायत खारिज करने पर जांच के अभिलेख न तो प्रकाशित किये जायेंगे और न ही किसी अन्य को उपलब्ध् कराये जायेंगे।प्रवर समिति की सिपफारिश के अनुसार लोकायुक्त में सभी मामलों की जांच सभी सदस्यों की पीठ करेगी। न्यायपीठ बनाने का प्रावधन नहीं होेगा। धरा 16 के संशोध्न के अनुसार लोकायुक्त की बैठक देहरादून में ही होगी। धरा 6 में संशोध्न की सिपफारिश के अनुसार लोकायुक्त के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष के स्थान पर तीन वर्ष या 70 वर्ष की आयु जो भी पहले हो तक होगा। धरा 51 के संशोध्न की सिपफारिश के अनुसार लोकायुक्त को सात वर्ष पुराने के स्थान पर केवल चार वर्ष पुराने मामलों की शिकायत पर ही कार्यवाही का अध्किार होगा। श्री नदीम को उपलब्ध् प्रवर समिति की रिपोर्ट के अनुसार लोकायुक्त का अध्यक्ष व सदस्य नियुक्त होने के लिये धरा 3 के अनुसार न्यनूतम आयु 45 वर्ष के स्थान पर पचपन वर्ष होगी। इसके अतिरिक्त उसके लिये 25 वर्ष के स्थान पर तीस वर्ष का अनुभव आवश्यक होगा।

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