लखनऊ : देश को समाजवादी नहीं रामराज्य की अवधारणा चाहिए। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि समाजवाद अप्रासंगिक, अव्यावहारिक हो चुका है। राम भक्तों पर गोली चलाने वालों को मुझसे सवाल पूछने का कोई हक नहीं। ऐसे लोगों को राम राज्य का अर्थ नहीं समझ आएगा। राम राज्य कुछ और नहीं सुशासन है और हम इसके लिए लगातार प्रयासरत हैं। राम हमारे लिए आदर्श हैं, अराध्य हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम भी…। अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि के मसले पर फैसला देकर सुप्रीम कोर्ट ने भी राम भक्तों की भावनाओं पर मुहर लगाई है।
मुख्यमंत्री बुधवार को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर बोल रहे थे। मुख्यमंत्री सदन में आईपैड लेकर आए और उसका इस्तेमाल संबोधन में बखूबी करते रहे। उन्होंने कहा कि अयोध्या में दबी हुई भावनाओं को मंच मिला है और दुनिया में भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था का परचम लहराया है। 9 नवंबर 2019 को यह साबित हुआ कि परिंदा भी कानून-व्यवस्था में पर नहीं मार सकता। अयोध्या फैसला आने के बाद ये साफ है कि गोली चलाने वाले गलत थे। ये लोग आतंकवाद के मुकदमे वापस लेते हैं। रामभक्त पर गोली चलाने को ठीक मानते हैं।
इज्जत तार-तार करने वाले महिला सशक्तीकरण की बात कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने महिलाओं की इज्जत को तार-तार किया वो महिला सशक्तीकरण की बात करते है। उनका इशारा विपक्षी दलों की ओर था। उन्होंने कहा कि अगर कोई निर्दोषों को सताएगा तो उसे उसी की भाषा में समझाएंगे। 19 और 20 दिसंबर को जो लोग संविधान और तिरंगे की आड़ लेकर धरने पर बैठे थे। उनके प्रति विपक्ष की सहानुभूति है लेकिन विपक्ष प्रदेश की 23 करोड़ जनता के प्रति सहानुभूति नहीं रखता है। विपक्ष छात्रवृत्ति की बात करता है, हमने हम इस वर्ष 26 जनवरी को 56 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति दी। जिसमें से 28 लाख बच्चे पिछड़ी जाति के हैं। सपा की सरकार आती तो अनुसूचित जाति के बच्चे छूट जाते हैं और जब बसपा की सरकार आती तो पिछड़ी जाति के बच्चे छूट जाते हैं। सरकार किसी भी प्रदेश के किसी भी जाति के लोग के साथ अन्याय नहीं होने देगी।