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मुद्रा स्‍कीम और उद्योग आधार की वजह से 25 फीसदी बढ़ी छोटे कारोबारियों की संख्‍या, बिहार, उत्तर प्रदेश आगे

नई दिल्‍ली : मुद्रा स्‍कीम और उद्योग आधार से देश में छोटे कारोबारियों की संख्‍या में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। साल 2016-17 में देश में रजिस्‍टर्ड माइक्रो, स्‍मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) की संख्‍या 4.53 करोड़ थी, जो 2017-18 में 6.33 करोड़ पहुंच गई है। एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि ऑनलाइन रजिस्‍ट्रेशन और मुद्रा स्‍कीम की वजह से यह आंकड़ा बढ़ा है। दिलचस्‍प्‍ा बात यह है कि छोटे कारोबारियों की संख्‍या के मामले में बिहार ने लंबी छलांग लगाई है, जबकि उत्‍तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल को पीछे छोड़ते हुए पहले नंबर पर पहुंच गया है। मिनिस्‍ट्री ऑफ एमएसएमई ने हाल ही में अपनी एनुअल रिपोर्ट 2017-18 जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए पॉजिटिव स्‍टेप्‍स के कारण एमएसएमई सेक्‍टर की ग्रोथ बढ़ी है। वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक एमएसएमई उत्‍तर प्रदेश में हैं, जबकि पश्‍चिम बंगाल दूसरे नंबर पर है। जबकि साल 2016-17 की रिपोर्ट के मुताबिक उत्‍तर प्रदेश दूसरे नंबर पर था। 2017-18 की रिपोर्ट के मुताबिक 10 प्रमुख राज्‍यों में एमएसएमई की संख्‍या इस प्रकार रही।
उत्‍तर प्रदेश : 89.99 लाख, पश्चिम बंगाल : 88.67 लाख, तमिलनाडु : 49.48 लाख, महाराष्‍ट्र : 47.78 लाख, कर्नाटक : 38.34 लाख, बिहार : 34.46 लाख, आंध्र प्रदेश : 33.87 लाख, गुजरात : 33.16 लाख, राजस्‍थान : 26.87 लाख, मध्‍य प्रदेश : 26.74 लाख, अन्‍य राज्‍य : 164.52 लाख, कुल : 633.38 लाख।
इंटिग्रेटेड एसोसिएन्‍शंस ऑफ माइक्रो, स्‍मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (आईएम एसएमई) के अध्‍यक्ष राजीव चावला ने कहा कि एमएसएमई की संख्‍या बढ़ने की दो वजह हैं। एक, केंद्र सरकार ने उद्योग आधार मेमोरेंडम (यूएएम) के तहत ऑनलाइन रजिस्‍ट्रेशन की व्‍यवस्‍था शुरू की है, जिसका बड़ा फायदा एमएसएमई सेक्‍टर को पहुंचा है। क्‍योंकि इससे पहले तक कारोबारियों का रजिस्‍ट्रेशन आसानी से नहीं होता था, लेकिन अब रजिस्‍ट्रेशन बहुत आसानी से हो जाता है। दूसरा, मुद्रा स्‍कीम के तहत बड़ी संख्‍या में छोटे कारोबारियों को लोन दिया गया।

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