मुसलमान बच्चों को ना खुदा मिल रहा, ना अंग्रेजी मिल रही:सैयद बाबर अशरफ
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उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले हर हिंदुस्तानी का चैनल न्यूज 24 खास कार्यक्रम मंथन कर रहा है। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के कई दिग्गज नेता पहुंच रहे हैं। इस खास कार्यक्रम में एक सेशन खासतौर से मुस्लिम धर्मगुरुओं के लिए रखा गया। इस मौके पर सैयद बाबर अशरफ ने प्रदेश में मुसलमानों के विकास पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मुसलमान बच्चों को ना खुदा मिल रहा है, ना ही उन्हें अंग्रेजी मिल रही है। उनका कहना था कि तरक्की के लिए उनको पढना जरुरी है।
और क्या कहा उन्होंने…
– मुसलमानों बच्चों को ना खुदा मिल रहा है, ना ही उन्हें अंग्रेजी मिल रही है।
-मुसलमान नेताओं को हमारी समस्याओं का भी पता नहीं।
-जो आपके लिए बेहतर हो उसे वोट करें।
-मुसलमानों की तरक्की के उनका पढ़ना जरूरी है।
-कुरान में भी कहा गया था कि पढ़ो ।
-नेताओं का काम है कि हर घर में मोहब्बत को पहुंचाया जाए।
जो लोग तलाक जैसे मुद्दा उठाते हैं वो मुसलमानों का हित नहीं चाहते हैं।
-मुसलमानों को रोजगार और शिक्षा चाहिए ।
-मुसलमानों को समझना चाहिए कि तलाक का मुद्दा हमें भटकाने के लिए है।
– नोटबंदी को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए। किसी एक धर्म को इसके खिलाफ आवाज नहीं उठानी चाहिए।
-मुसलमानों से वोट मांगने का हक किसी का नहीं है, क्योंकि उनके लिए किसी ने कुछ नहीं किया।
-जो चेहरे राजनीति में हैं, वह सिर्फ अपने फायदे के लिए काम करते हैं।
उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले हर हिंदुस्तानी का चैनल न्यूज 24 खास कार्यक्रम मंथन कर रहा है। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के कई दिग्गज नेता पहुंच रहे हैं। इस खास कार्यक्रम में एक सेशन खासतौर से मुस्लिम धर्मगुरुओं के लिए रखा गया। इस मौके पर सैयद बाबर अशरफ ने प्रदेश में मुसलमानों के विकास पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मुसलमान बच्चों को ना खुदा मिल रहा है, ना ही उन्हें अंग्रेजी मिल रही है। उनका कहना था कि तरक्की के लिए उनको पढना जरुरी है।
और क्या कहा उन्होंने…
– मुसलमानों बच्चों को ना खुदा मिल रहा है, ना ही उन्हें अंग्रेजी मिल रही है।
-मुसलमान नेताओं को हमारी समस्याओं का भी पता नहीं।
-जो आपके लिए बेहतर हो उसे वोट करें।
-मुसलमानों की तरक्की के उनका पढ़ना जरूरी है।
-कुरान में भी कहा गया था कि पढ़ो ।
-नेताओं का काम है कि हर घर में मोहब्बत को पहुंचाया जाए।
जो लोग तलाक जैसे मुद्दा उठाते हैं वो मुसलमानों का हित नहीं चाहते हैं।
-मुसलमानों को रोजगार और शिक्षा चाहिए ।
-मुसलमानों को समझना चाहिए कि तलाक का मुद्दा हमें भटकाने के लिए है।
– नोटबंदी को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए। किसी एक धर्म को इसके खिलाफ आवाज नहीं उठानी चाहिए।
-मुसलमानों से वोट मांगने का हक किसी का नहीं है, क्योंकि उनके लिए किसी ने कुछ नहीं किया।
-जो चेहरे राजनीति में हैं, वह सिर्फ अपने फायदे के लिए काम करते हैं।