अन्तर्राष्ट्रीयजीवनशैली

मुस्लिम आबादी वाले देश में हिंदू परम्पराओं की तारीफ


जकार्ता : इंडोनेशिया में दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी रहती है. यहां की 90 प्रतिशत से भी ज्यादा आबादी मुस्लिम ही है. हालांकि यहां के शहर बाली में बड़ी संख्या में हिंदू भी रहते हैं और यहां ढेर सारे हिंदू मंदिर भी मौजूद हैं.

इंडोनेशिया में बाली सिर्फ अकेला ऐसा द्वीप है जहां हिंदू बहुसंख्यक हैं. बाली का नया साल भी शक संवत् पंचांग से तय होता है, जो चंद्रमा की गति पर आधारित है.

गौरतलब है ​कि शक राजवंश की स्थापना 78 ईस्वी में भारतीय राजा कनिष्क ने की थी. हिंदू धर्म प्रचारक इसे लेकर जावा पहुंचे थे और वहां से यह बाली पहुंचा. कोरोना संक्रमण के इस समय में इंडोनेशिया के लोग बाली के कल्चर और परंपराओं की काफी तारीफ कर रहे हैं. खासकर बाली के ‘मौन दिवस’ की काफी चर्चाएं हैं. इस दिन लोग पूरे दिन अपने घरों में 24 घंटे के लिए चुपचाप रहते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं.

दुनिया के लोग जहां कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन सिस्टम से तंग नज़र आ रहे हैं वहीं यहां के लोगों के लिए सामान्य बात है. हर साल न्येपी (मौन रखने का दिन) के मौक़े पर यह द्वीप ख़ामोश हो जाता है. किसी को घर से बाहर निकलने की इजाज़त नहीं दी जाती. इस दिन न तो घर में लाइट जलाई जाती है और आग जलाने की भी मनाही होती है. इस दिन सभी को चिंतन करना होता है इसलिए मनोरंजन की भी मनाही होती है. न सिर्फ दुकानें बल्कि 24 घंटे के लिए हवाई अड्डे भी बंद रखे जाते हैं.

न्येपी के दिन स्थानीय पुलिस सड़कों पर और समुद्र तटों पर गश्त करती है ताकि कोई व्यक्ति नियम न तोड़े. बाली में तबनान के एक गांव में पली-बढ़ी हिंदू महिला श्री दरविती कहती हैं, ‘इस समय का मौन ध्यान लगाने का सबसे अच्छा तरीक़ा है. मैं पिछले 40 साल से न्येपी मना रही हूं. जैसे-जैसे मेरी उम्र हो रही है, मैं इसके पीछे के महत्व को समझ रही हूं.’

इंडोनेशिया की सोशल मीडिया पर इस त्योहार का जिक्र करके इस तरह की पोस्ट वायरल हो रही हैं जिसमें इन परंपराओं की तरफदारी की जा रही है. बाली में सोशल डिस्टेंसिंग के उपाय लागू हैं. कोरोना वायरस के कारण इस साल न्येपी को एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया था.

Related Articles

Back to top button