अन्तर्राष्ट्रीयफीचर्ड

मुस्लिम देश इंडोनेशिया में समृद्ध हिन्दू संस्कृति


नई दिल्ली : आबादी के लिहाज से इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश है पर यहां हिन्दू संस्कृति का असर काफ़ी प्रभावशाली है। इंडोनेशिया अपनी साझी संस्कृति के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया के दौरे पर हैं और वो बुधवार को जकार्ता में महाभारत के अहम किरदार अर्जुन की मूर्ति भी देखने जाएंगे।इंडोनेशिया के बाली द्वीप में हिंदू बहुसंख्यक हैं। भारत और इंडोनेशिया के रिश्ते हज़ारों साल पुराने हैं। ईसा के जन्म से पहले से ही भारत के सौदागर और नाविक वहां जाते रहे हैं। यही कारण है कि इंडोनेशिया और भारत में काफ़ी सारी सांस्कृतिक समानताएं देखने को मिलती हैं। प्राचीन काल से ही भारतीय सौदागर और नाविकों के आने-जाने के कारण इंडोनेशिया में न सिर्फ़ हिंदू धर्म बल्कि बौद्ध धर्म का भी गहरा प्रभाव नज़र आता है। इंडोनेशियाई भाषा, स्थापत्य, राजशाही और मिथकों पर भी इन धर्मों का असर है। उदाहरण के लिए इंडोनेशिया के पुराने साम्राज्यों के नाम श्रीविजया और गजाह मधा आदि हैं। भाषा के मामले में भी कई समानताए हैं, उनकी भाषा को ‘बहासा इंदोनेसिया’ कहते हैं। इंडोनेशिया में अगर आप महाभारत और रामायण का ज़िक्र करेंगे तो वे कहेंगे कि ये तो हमारे ग्रंथ हैं। वहां के उत्सवों और झांकियों आदि में में इन ग्रंथों के पात्र कठपुतलियों के रूप में नज़र आ जाते हैं। जैसे कि वहां चमड़े की कठपुतलियों के शो में ऐसे ही कुछ विचित्र पौराणिक पात्र देखने को मिलते हैं। कहीं, कौरवों में से विचित्र हीरो निकल आता है तो कहीं हनुमान नज़र आ जाते हैं। उनके रामायण या महाभारत के कुछ प्रसंग भिन्न होते हैं, मगर कथानक वही रहता है। इंडोनेशिया के प्राचीन श्रीविजया और गजाह मधा जैसे साम्राज्यों में भारतीय संस्कृति की गहरी छाप है।
इंडोनेशिया सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश है, मगर यहां पर इस्लाम भी भारत के पूर्वी तट से होता हुआ पहुंचा है। यही कारण है कि इंडोनेशिया और दक्षिण एशिया, ख़ासकर भारत के इस्लाम में कुछ समय पहले तक समानता रही है। सातवीं सदी में व्यापार के कारण इंडोनेशिया में शक्तिशाली श्रीविजया साम्राज्य पनपा। इस साम्राज्य पर हिंदू और बौद्ध धर्म का भी प्रभाव था, जो व्यापारियों के कारण आया था। आठवीं और 10वीं सदी में जावा में कृषक बौद्ध सैलेंद्र और हिंदू मतारम वंश फले फूले। इसी काल में जावा मे हिंदू-बौद्ध कला और स्थापत्य की पुनर्स्थापना हुई थी। इस काल में बने कई स्मारक आज भी इंडोनेशिया में देखने को मिलते हैं, 13वीं सदी के आख़िर में पूर्वी जावा में हिंदू मजापहित साम्राज्य की स्थापना हुई थी। सदियों पहले हिंदू धर्म ही यहां नहीं पहुंचा था बल्कि बौद्ध धर्म भी इसके साथ-साथ या शायद इससे पहले इंडोनेशिया पहुंचा था। यही कारण है कि जावा द्वीप पर आपको प्रांबानन में हिंदू मंदिर भी मिलता है और बोरोबोदूर में संसार का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप भी मिलता है।
ऑस्ट्रेलिया की तरफ़ पड़ने वाला इंडोनेशिया का बाली द्वीप तो हिंदू बहुल है। बावजूद इसके यहां का हिदू धर्म भारत के हिंदू धर्म से काफ़ी अलग हैं।

Related Articles

Back to top button