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मुस्लिम महिलाएं चार पति क्यों नहीं रख सकती?: जस्टिस पाशा
केरला हाईकोर्ट के जज जस्टिस बी कमल पाशा ने मुस्लिम महिलाओं की स्थिति को लेकर अहम टिप्पणी की है। जस्टिस पाशा ने सवाल उठाया है कि इस्लाम में पुरुषों को चार-चार शादियां करने की हक है तो महिलाएं चार-चार पति क्यों नहीं रख सकती?
जस्टिस पाशा ने यह बात महिलाओं द्वारा आयोजित एक गैर-सरकारी संगठन के कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा मुस्लिम पर्सनल लॉ में ऐसे कानूनों की भरमार है जो महिलाओं के खिलाफ हैं। इसके लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के धर्म प्रमुख जिम्मेदार हैं।
ऐसे संवेदनशील मुद्दों को आपसी बातचीत और आत्मविश्लेषण से दूर किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत एक पुरुष चार-चार शादियां कर सकता है। ये केवल भारत में जारी है, जबकि कई मुस्लिम देशों में बहु-विवाह बंद कर दिया है।
आत्मचिंतन करना चाहिए
जस्टिस पाशा ने कहा, धर्म प्रमुखों को आत्मचिंतन करना चाहिए कि क्या उन्हें एकतरफा फैसले देने का हक है? आम लोगों को भी सोचना चाहिए कि ये लोग कौन हैं जो ऐसे फैसले सुनाते हैं? पर्सनल लॉ में कई विसंगतियां हैं। महिलाओं को समानता का अधिकार नहीं दिया गया है। साथ ही संपत्ति और अन्य मसलों में भी उनका हक छीना गया है।