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मेनहोल में सफाई करने उतरे कर्मी की मौत, हड़कम्प

लखनऊ : राजधानी इंदिरा प्रियदर्शिनी वॉर्ड के चांदन फरीदीनगर मार्ग पर सुबह नौ बजे मैनहोल में चार सफाई कर्मचारी घुसे। जैसे ही सफाई शुरू हुई, गैस का रिसाव होने पर दो लोग चीखते हुए मैनहोल से निकले। बाहर न तो ठेकेदार था और न ही जल निगम का कोई इंजीनियर। जबकि इन चारों को जलनिगम के ठेकेदार ने ही बुलाया था। बचाव के उपकरण और इंतजाम भी नहीं थे। सबसे नीचे फंसे बेटे करीम (19) और भांजे आतिफ (22) को निकालने के लिए जलील (45) खुद ही मैनहोल में उतर गया। किसी तरह उसने दोनों को रस्सी से बांधा, जिन्हें राहगीरों ने ऊपर खींच लिया, लेकिन उसके बाद जलील ऊपर नहीं आ सके व बेसुध होकर गिर गए। मौके पर पहुंची पुलिस भी बेबस खड़ी रही। दमकल वाहन पहुंचा, लेकिन उसके पास रस्सी तक नहीं थी। मैनहोल के पास खड़े करीम और आतिफ को रोते देख ऑटो चालक शफीक का दिल भर आया। उसने मैनहोल में उतरने का फैसला किया। स्थानीय नागरिकों ने उसकी कमर में रस्सी बांधकर उसे मैनहोल में उतारा पर गैस के कारण उसकी दो कोशिशें बेकार हो गई। तीसरी बार शफीक ने अपने मुंह पर कपड़ा बांधा। इस बीच, फायर विभाग ने मैनहोल में पानी छोड़कर गैस कम करने की कोशिश की। गैस कम हुई तो शफीक बेसुध जलील को बाहर निकाल लाया गया। फरीदीनगर में बुधवार को मैनहोल में फंसे सफाई कर्मचारी जलील की मौत ने जलकल, जल निगम, पुलिस और फायर विभाग की व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठा दिए हैं। जिस समय सीवर की सफाई शुरू हुई, वहां कोई जिम्मेदार अफसर या ठेकेदार नहीं था। हादसे के बाद जलकल जीएम को फोन किया गया तो उन्होंने मदद भेजने के बाद मामला जल निगम का होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। जल निगम अफसरों ने कहा कि सीवर सफाई के लिए आदमी उतारे ही नहीं जाने थे। इस बीच सूचना पर पहुंची पुलिस कर्मचारी को मैनहोल से निकालने में बेबस साबित हुई। कुछ देर बाद फायर ब्रिगेड टीम भी पहुंची, लेकिन उसके पास रस्सी या कोई दूसरा उपकरण नहीं था।
हादसे के वक्त जलील को बचाने की कोशिश कर रहे सत्यवान भट्ट आसपास के मकानों से रस्सी मांगने गए, लेकिन कहीं से मदद नहीं मिली। इसके बाद वह एक दुकान से जबरन प्लास्टिक की रस्सी उठा लाए, तब फंसे कर्मचारी को बाहर निकालने की कवायद शुरू हो सकी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, समय रहते मदद मिली होती तो बुजुर्ग सफाई कर्मचारी की जिंदगी बच सकती थी। मैनहोल में उतरने वाले कर्मचारियों को हेलमेट, जैकेट, दस्ताने, ऑक्सिजन मास्क, जूते और टॉर्च दिए जाने का दावा किया जाता है। जल निगम के एक्सईएन एसके गौतम के मुताबिक, इसका इंतजाम ठेकेदार ही करता है और काम शुरू होने से पहले जेई इसकी पुष्टि करता है। इसके उलट बुधवार को कर्मचारी महज अंडरवियर पहनकर सीवर में उतर गए थे। हादसे के बाद उन्हें निकालने के लिए रस्सी तक नहीं थी। हादसे के बाद अपनी गर्दन बचाने के लिए जल निगम के इंजिनियरों ने सारा ठीकरा ठेकेदार पर फोड़ दिया। एक्सईएन एसके गौतम के मुताबिक, सीवर की सफाई के लिए मशीन लगाई जानी थी। इसके लिए जूनियर इंजीनियर को आदेश दिया गया था। इससे पहले कि मशीन लेकर जेई मैनहोल तक पहुंचता, ठेकेदार ने सफाई कर्मचारियों को उसके भीतर उतार दिया। हादसे के बाद मामले को तूल न देने और ठेकेदार की पैरवी में अधिकारियों के पास फोन आने लगे।

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