नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के मुंबई बम विस्फोट कांड में मौत की सजा पाने वाले एकमात्र दोषी और फरार दाऊद इब्राहिम के सह षडयंत्रकारी याकूब अब्दुल रजाक मेमन की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए उसे फांसी देने का रास्ता साफ कर दिया है। मेमन ने याचिका में 21 मार्च 2013 को एक विशेष अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले की समीक्षा करने और फांसी की सजा रोके जाने की मांग की थी। सी से बचने के लिए मेमन के पास अब बहुत सीमित विकल्प बचे हैं। कानूनी प्रक्रिया के तहत अब वह सुधार याचिका दायर कर सकता है। उसके बाद वह राष्ट्रपति से भी क्षमा याचना कर सकता है। न्यायालय ने 25 मार्च को याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह दूसरी बार है, जब मेमन की मृत्युदंड पर पुनर्विचार याचिका खारिज हुई है। मेमन की ओर से यह याचिका दोबारा दायर की गई, क्योंकि संवैधानिक पीठ ने दो सितंबर, 2014 को मेमन की पहली समीक्षा याचिका पर दिए गए अपने फैसले में कहा था कि मृत्युदंड संबंधी मामलों की पुनर्विचार याचिका की सुनवाई तीन न्यायाधीशों वाली खुली अदालत करेगी। जस्टिस एआर दवे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने गुरुवार को फैसले में कहा,हमने उस फैसले का अवलोकन किया है जिस पर पुनर्विचार का आग्रह किया गया था। हमने पाया कि पुनर्विचार याचिका में पेश सभी दलीलों पर पिछले फैसले में विस्तार से विचार किया गया था। इसलिए, हमें इस फैसले में हस्तक्षेप के लिए अपने पुनर्विचार अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करने का कोई आधार नजर नहीं आता है।