मेरठ हिंसा: मुंह पर कपड़ा बांधकर उपद्रवियों ने पिस्टल से चलाईं गोलियां
कश्मीर के पत्थरबाजों की तरह मेरठ में उपद्रवियों ने न केवल पुलिस फोर्स पर पथराव किया, बल्कि उससे भी एक कदम आगे चलकर सीधे गोलियां चलाईं। इसके पुख्ता सबूत बुधवार को पुलिस को लिसाड़ी गेट खत्ता रोड की सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से हाथ लगे हैं।
इन वायरल वीडियो और फुटेज में उपद्रवी पुलिस फोर्स पर पथराव करते और गोलियां चलाते साफ दिख रहे हैं। जिस समय की यह फुटेज सामने आई है, उस समय डीएम और एसएसपी इस इलाके में मौजूद थे। गोली चलाते एक उपद्रवी की पहचान उपद्रव में मारे गए आसिफ के दोस्त के रूप में हुई। पुलिस ने इन उपद्रवियों की तलाश शुरू कर दी है।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में 20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद हापुड़ रोड व लिसाड़ीगेट में उपद्रवियों ने पुलिस प्रशासन पर पथराव और फायरिंग की थी। लिसाड़ी गेट इलाके के भूमिया पुल से खत्ता रोड पर उपद्रवियों पर शिकंजा कसने के लिये डीएम अनिल ढींगरा और एसएसपी अजय साहनी करीब चार घंटे तक मशक्कत करते रहे।
खत्ता रोड की दोनों तरफ की गालियों से उपद्रवी बाहर आते और पुलिस प्रशासन पर पथराव व गोलियां चलाकर गलियों में भाग जाते थे। पुलिस इन उपद्रवियों की पहचान के लिये वीडियो और फोटो जुटा रही है। अभी तक 405 से अधिक उपद्रवियों की पुलिस ने पहचान कर ली है। बुधवार को पुलिस के पास खत्ता रोड से सीसीटीवी कैमरे की फुटेज मिली हैं।
वीडियो में दिखाई दे रहा है कि उपद्रवी किस कदर पुलिस प्रशासन पर गोलियां चला रहे हैं। पुलिस का दावा है कि उपद्रवियों की गोली से पांच लोगों की मौत हो गई। आरएएफ के तीन जवान और एक सिपाही को भी उपद्रवियों को गोली लगी। पुलिस ने उपद्रवियों की वीडियो वायरल की है, जिसमें वह पुलिस फोर्स पर सीधे गोलियां चला रहे है।
पुलिस के मुताबिक उपद्रव में मारे गए आसिफ के साथ दिल्ली से कई युवक आए थे। जोकि पिस्टल से गोलियों चला रहे थे। जिस उपद्रवी की पहचान हुई है, वह भी आसिफ का दोस्त है। इसको लेकर पुलिस आसिफ के करीबियों से संपर्क कर रही है। हालांकि पुलिस अभी फुटेज में गोली चलाने वालों को गिरफ्तार करने की बात नहीं कह रही।
उपद्रवियों ने मुंह पर कपड़ा बांधकर पिस्टल और रिवाल्वर से पुलिस प्रशासन पर गोलियां चलाई थी। वहीं, कई युवक तमंचे से भी गोली चलाते दिखे हैं, जिनके चेहरे साफ दिखाई दे रहे है। मुंह पर कपड़ा बांधकर गोली चलाने वाले उपद्रवी बाहर से बुलाए गए थे। स्थानीय लोगों को भ्रमित कर सीएए के खिलाफ आवाज उठाने के लिये उकसाया गया, जिससे चार घंटे मेरठ में बवाल चला।