मेरी कलम से…
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बिहार विधानसभा के चुनाव का घमासान जारी है। चार बड़े गठबंधन मिलकर बिहार के चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। एक से एक धुरंधर नेता अपने गठबंधन व दल को जिताने की हरसंभव कोशिश में लगे हैं। यहां तक कि देश के प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान राजनीतिक सुपर स्टार नरेन्द्र मोदी खुद चुनाव प्रचार की कमान संभाले लगातार ताबड़तोड़ रैलियां करके एनडीए को जीत दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बिहार चुनाव के कुछ समय पहले के बने समीकरण जिसमें लालू-नीतीश और मुलायम आदि के द्वारा बनाये गये महागठबंधन की ताकत एनडीए को मजबूत टक्कर देने की स्थिति में दिखाई दे रही थी। पर एनडीए नेताओं की एक ही चाल ने मुलायम सिंह को उस गठबंधन से अलग करके महागठबंधन की सारी हवा निकाल दी। और जो सेक्युलरिज्म के नाम पर अल्पसंख्यक वोटों का सहारा था, उस पर सेंधमारी करने के लिए आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के अध्यक्ष और तेजतर्रार हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा करके वह सहारा भी छीन लिया। इन सब समीकरणों के बाद लालू-नीतीश का गठबंधन सकते में है। हालांकि एनडीए की पोजीशन भी कोई बहुत अधिक सुरक्षित अवस्था में नहीं दिखाई देती क्योंकि एनडीए गठबंधन के सदस्य पार्टी नेताओं के अति महत्वाकांक्षी होने के दृश्य बार-बार सामने आते रहते हैं। हाल में ही भारतीय जनता पार्टी के ही सांसद एवं पूर्व गृह सचिव आरके सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा में पैसा लेकर टिकट बेचने का खेल चल रहा है और उनके समर्थन में शत्रुघ्न सिन्हा और चिराग पासवान के बयान मीडिया में आये हैं। फिर भी केन्द्र में एनडीए की सरकार होने के नाते बहुत से अवगुणों पर परदा पड़ा है।
इन सब बातों के बावजूद भी बिहार चुनाव पर अभी तक की सबसे मजबूत पकड़ एनडीए गठबंधन की ही दिखाई दे रही है। और मोदी हर हालत में अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए बेचैन हैं। केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद देश में एक नये नायक के रूप में उभरने वाले नरेन्द्र मोदी ने जब अपने पोस्टर पर दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा और उसमें भारतीय जनता पार्टी को जीत दिलाने में असफल रहे तो पूरे देश में यह चर्चा बन गयी कि लोकसभा चुनावों में तो जनता ने मोदी को नेता मान लिया लेकिन विधानसभा चुनावों में जनता किसी न किसी स्थानीय नेता को ही तरजीह देना चाह रही है। लेकिन इन असफलता के बाद भी मोदी ने हार नहीं मानी और बिहार विधानसभा में भी वे अपने पोस्टर पर ही चुनाव लड़ रहे हैं और कहीं न कहीं इस जिद पर अड़े हैं कि जनता अगर हमें लोकसभा चुनाव में नेता मान चुकी है तो विधानसभा चुनावों में भी वह हम पर विश्वास जाहिर करेगी। इसलिए बिहार विधानसभा चुनाव एनडीए गठबंधन के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, लेकिन इसकी जीत नरेन्द्र मोदी के लिए उनकी ब्राण्डिंग का प्रमाण पत्र साबित होगी क्योंकि बिहार विधानसभा जीतने के बाद आने वाले समय में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में मोदी पोस्टर सर्वमान्य हो जायेगा। एकमात्र नेता के रूप में नेतृत्व करने को आम राय बना पायेंगे और उनके आलोचक भी उन्हें नेता मानने को बाध्य हो जायेंगे। क्योंकि नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को ऐसा स्थापित किया है कि नरेन्द्र मोदी ही देश के एकमात्र सर्वमान्य नेता हैं। इस चुनाव की जीत से देश के विभिन्न राज्य और विधानसभा चुनाव में उनकी स्वीकार्यता को बल मिलेगा और बिहार विधानसभा चुनाव देश भर के विधानसभाओं में भी मोदी के असर का प्रमाणपत्र साबित होंगे।