मेरे पास इतनी सम्पत्ति है कि सभी के पैसे चुका सकता हूं : विजय माल्या
लंदन : 9 हजार करोड़ लेकर भागे शराब कारोबारी विजय माल्या को सोमवार को ब्रिटेन की अदालत ने करारा झटका देते हुए उन्हें भारत के हवाले करने की अनुमति दे दी। 62 वर्षीय माल्या पिछले साल अप्रैल में प्रत्यर्पण वारंट पर गिरफ्तारी के बाद से जमानत पर हैं। माल्या पर भारतीय बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये बकाया है। ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत की मुख्य मजिस्ट्रेट जज एम्मा आबुथनॉट ने माल्या के भारत प्रत्यर्पण की अनुमति दे दी ताकि भारतीय जांच एजेंसियां सीबीआई और ईडी की जांच के आधार पर मुकदमा चलाया जा सके। अदालत ने इस बात की भी कड़ी आलोचना की कि यह कर्ज किस तरीके से दिया गया और इसका कैसे इस्तेमाल हुआ। माल्या को भारत को सौंपने की अर्जी को माल्या ने चुनौती दी थी और यह बहुचर्चित मामला वहां करीब एक साल चला। माल्या ने दलील दी थी कि उन्होंने बैंकों के साथ कोई हेराफेरी या चोरी नहीं की है। उधर, माल्या ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा, कर्ज निपटाने की मेरी पेशकश कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष की गई है। प्रत्यर्पण मुकदमे से उसका संबंध नहीं है। कोई फर्जी पेशकश कर के न्यायालय की अवमानना नहीं कर सकता। ईडी ने संपत्तियां कुर्क की हैं। वे फर्जी संपत्तियां नहीं हैं, माल्या ने कहा कि उनकी संपत्तियों का मूल्य इतना है जिससे वह सभी का भुगतान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल उनका ध्यान इसी पर है। उन्होंने कहा कि उनकी कानूनी टीम इस फैसले की समीक्षा के बाद आगे कदम उठाएगी। कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष की गई पेशकश के बारे में माल्या ने कहा कि यदि निपटान की अनुमति दी जाती है तो सबसे पहले किंगफिशर के कर्मचारियों का भुगतान किया जाना चाहिए। बचाव पक्ष के वकील ने मानवाधिकार के आधार पर माल्या के प्रत्यर्पण की अनुमति नहीं देने का आग्रह करते हुए भारत की जेलों की स्थिति का उल्लेख किया। इस पर जज ने कहा कि मुंबई की आर्थर रोड जेल के बैरक 12 के वीडियो से वहां की तस्वीर दिखाई गई है और उसको हाल में नए सिरे से दुरुस्त किया गया है। जज ने कहा कि उन्हें अपनी मुधमेह तथा कोरोनरी की समस्याओं के लिए व्यक्तिगत चिकित्सा सुविधा दी जाएगी। इस बात को मानने का कोई आधार नहीं है कि उन्हें जेल में किसी तरह का जोखिम है।
अदालत ने माल्या के प्रत्यर्पण का मामला गृह मंत्री साजिद जाविद को भेज दिया है जो इस फैसले के आधार पर निर्णय देंगे। बचाव पक्ष को ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में मुख्य मजिस्ट्रेट के फैसले के खिलाफ अपील करने की अनुमति होगी। पिछले साल अप्रैल में गिरफ्तारी के बाद से माल्या जमानत पर हैं।