अद्धयात्म
मेहदी लगाने के पीछे का वैज्ञानिक कारण
दस्तक टाइम्स/एजेंसी:
भारतीय संस्कृति विचारों, परंपराओं और आस्था की विशाल किताब की तरह है। यहां हर परंपरा के पीछे, वैज्ञानिक पहलू है। यह पहलू भले ही आपको अजीबोगरीब लगें लेकिन यही सच है।
- हाथों के दोनों तरफ मेहदी: मेहदी का रंग प्राकृतिक होता है। विवाह हो या त्योहार मेहदी लगाने का रिवाज सदियों से जारी है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मेहदी तनाव कम करने में सहायक है। मेहदी एक औषधी है। विवाह के समय माहौल तनावपूर्ण रहता है, जोकि बुखार, सिरदर्द का कारण बनता है। यहीं कारण है कि दुल्हे और दुल्हन के साथ विवाह में उपस्थित लगभग सभी महिलाएं मेहदी लगती हैं। हाथों के दोनों तरफ मेहदी लगाने से हाथों में दोनों तरफ मौजूद तंत्रिका नियंत्रित रहती है। जिसके कारण तनाव नियंत्रित रहता है। इसी तरह की कोशिकाएं पैरों में होती है। इसलिए पैरों में भी मेहदी लगाने से काफी हद तक स्थिति को नियंत्रित किया जाता है। इस बात को विज्ञान भी मानता है।
- खाना हमेशा जमीन पर बैठकर ही खाएं: जब भी हम जमीन पर बैठते हैं तो यह मुद्रा एक तरह से योग की मुद्रा होती है। जिसे पद्मासन कहते है। पद्मासन में बैठना शांति की भावना लाता है। जमीन पर बैठकर भोजन करने से हमारे मस्तिष्क को गति मिलती है। जोकि पाचन शक्ति को भी नियंत्रित करती है। इसलिए जमीन, पर ही बैठकर भोजन ग्रहण करना चाहिए। इस तरह से यह एक वैज्ञानिक पहलू भी है।
- उत्तर दिशा में सिर रखकर इसलिए नहीं सोना चाहिए: विज्ञान कहता है कि मानव शरीर चुंबकीय क्षेत्र है और यह पृथ्वी एक विशाल चुंबक है। चुंबक उत्तर-दक्षिण में काफी सक्रिय रहती है। जब भी हम उत्तर दिशा की ओर सिर रखकर सोते हैं। तो हमारे मस्तिष्क में रक्त का संतुलन बिगड़ता है। यह चुंबकीय शक्ति के कारण होता है। ऐसे में सिरदर्द, अल्जाइमर रोग, पार्किंसंस रोग, आधा मस्तिष्क जैसे रोग हो जाते हैं। इसलिए विज्ञान भी कहता है इस क्षेत्र में नहीं सोना चाहिए। इस बात को लेकर कई मिथक प्रचलित हैं।
- कान छेदने की परंपरा: भारतीय संस्कृति की यह परंपरा भी विज्ञान से जुड़ी है। भारतीय चिकित्सकों और दार्शनिकों का मानना है कि कान छेदने से बुद्धि, सोच और शक्ति में मदद मिलती है। जिसके कान छेद दिए जाते हैं। उसमें भाषा संयम की क्षमता भी रहती है। हालांकि पश्चिम में लोग कान छेदने की परंपरा को फेशन से जोड़कर देखते हैं।