सोनाक्षी ने बॉलीवुड में फिल्म दबंग के साथ डेब्यू किया और सब जानतें है ये फिल्म कितनी हिट रही थी। पर यह कहना गलत नहीं होगा कि सोनाक्षी के साथ दो चीजें बेहद खास रही वो ये थी कि पहली फिल्म सलमान के साथ और दूसरा एक बड़े अभिनेता की बेटी होना। सोनाक्षी ने अपने इंटरव्यू में बताया कि उन्हें अपने इंडस्ट्री में पलने-बढ़ने के बावजूद हमें हमेशा से फिल्मों की चमक-दमक से दूर रखा गया। बचपन में हम भाई-बहनों के मन में ऐसा कोई दबाव नहीं बनाया गया था कि हमें फिल्म इंडस्ट्री में ही आना है। स्टार किड होने के नाते हमें कभी कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिली। इससे उलट मां और डैड की कोशिश यही रहती थी कि लोगों को पता न चले कि हम सितारों के बच्चे हैं, ताकि वे हमारे साथ खास तरह का बर्ताव न करें। डैड के स्टारडम का अहसास बहुत देर से हुआ। एक बार जब हम लोग सेट पर गए और वहां पापा का ऑटोग्राफ लेने वालों की भीड़ देखी तो लगा कि मेरे पापा कोई हस्ती हैं।
प्यार के मामले में सोनाक्षी का कहना है कि इंतजार भी नहीं है और इनकार भी नहीं है। मैं मानती हूं कि ये सब किस्मत की बातें हैं। जब होना होगा होकर रहेगा। मैं प्यार के मामले में पीछे भागने में यकीन नहीं करती। मेरे मॉम-डैड ने आज से तीस साल पहले लव मैरिज की थी तो मैं भी लव-मैरिज ही करूंगी। मैंने अपने माता-पिता की तीस साल की शादी के उतार-चढ़ाव देखें हैं, इसके बावजूद वे एक-दूसरे के साथ हैं। ये बात मेरे दिल को छू जाती है। दूल्हा लंबा होना चाहिए। वह मेरा ख्याल रखे और मुझे खूब हंसाए।
जब भी औरतों के हित या उनके सम्मान में कोई पहल होती है तो मैं औरत होने के नाते गर्व महसूस करती हूं। अपनी स्पोर्ट्स विमिन को देखकर मेरा सर गर्व से तन जाता है। सानिया मिर्जा, सायना नेहवाल जैसी स्पोर्ट्स विमिन जब विश्व में देश का परचम लहराती हैं तो बहुत खुशी होती है। महिला होने के नाते हीनता का अनुभव तब होता है, जब औरतें अपने औरत होने का फायदा उठाती हैं, जैसे जसलीन कौर के केस में हुआ था। वह मुझे बहुत ही अपमानजनक लगा था।
मैंने हमेशा कहा है कि मैं बिकीनी या किस सीन नहीं करूंगी। मैंने अब तक फैमिली एंटरटेनर फिल्में की हैं और आगे भी मैं उसी तरह की फिल्में करने की इच्छुक हूं। मैं इंडस्ट्री में अपने मुकाम से खुश हूं। जितनी भी मेरी फैन फॉलोविंग है, वे यही कहते हैं कि मेरी बोल्डनेस की हद को पार न करना ही मेरी सबसे बड़ी खूबी है। सो आईएम हैप्पी
मैं खुद को बहुत खुशकिस्मत मानती हूं। मुझे लगता है कि मेरे पेरंट्स की गुडविल भी मेरे बहुत काम आई है, तभी मैं इस मुकाम पर पहुंच पाई हूं। इंडस्ट्री में जो अंगप्रदर्शन का सहारा लेते हैं, मैं उनके खिलाफ नहीं हूं, वह उनका चुनाव है। कई लोग मजबूरी में करते है और कई अपने काम के लिए, मगर मैं अंगप्रदर्शन के मामले में कभी अपनी सीमा नहीं लांघना चाहूंगी।
यह सच है कि मैं सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर काफी ऐक्टिव हूं। आज मीडिया के इतने ज्यादा एक्सपोजर के बाद हम कलाकरों को ऐसी चीजों से गुजरना पड़ता है। पहले के आर्टिस्ट इन चीजों का सामना नहीं करते थे, क्योंकि तब गिना-चुना मीडिया था। आज तो सोशल नेटवोर्किंग साइट्स, न्यूज चैनल्स और मीडिया की बाढ़ आई हुई है। इनके कारण कहीं न कहीं कोई न कोई तो कुछ बोल ही देता है। मुझे नहीं लगता कि हमें अब चुप रहने की जरूरत है, आधे न्यूज पेपर्स की सर्कुलेशन से ज्यादा तो हमारे ट्विटर के फॉलोवर्स हैं। हम क्यों किसी की अनाप-शनाप बात सुनें, हमें जो अपना पॉइंट रखना है हम उसे ट्विटर के माध्यम से सीधे-सीधे अपने फैन्स तक पहुंचा सकते हैं।
हम अभिनय जैसे कॉमन बिज़नस में हैं तो हमारी बातचीत इस मामले में ज्यादा होती है। हम अक्सर चर्चा करते हैं कि अब चीजें कितनी बदल गई हैं। मुझे याद है एक निर्माता मुझसे एक फिल्म करवाना चाहते थे। मेरे पास डेट्स नहीं थी और मैंने मना कर दिया, तब उस निर्माता ने पापा को फोन करके मेरी शिकायत कर डाली। पापा ने जब मुझसे पूछा तो मैंने पापा को फोन करके कहा कि ये कौन-सी प्रफेशनल बात हुई, अब मैं बच्ची नहीं हूं कि मेरे फिल्म न करने पर वे आपसे शिकायत करें। मैंने उनसे कहा कि आप उनसे बात न करें। मैं सिचुएशन हैंडल कर लूंगी। उसके दो-तीन दिन बाद पापा ने मुझे फोन किया और कहा, ‘अब मुझे यकीन हो गया है कि तुम बड़ी हो गई हो और नाउ यू कैन हैंडल यॉरसेल्फ। आइ एम प्राउड ऑफ यू।’