मैं क्या मंदिर का घंटा हूं, जो आता है बजाकर चला जाता है
बॉलीवुड में धमाल मचाने वाले हास्य कलाकार अभिनेता राजपाल यादव को फनसिटी में बेकाबू भीड़ ने घेर लिया। फिर तो राजपाल का मूड़ खराब हो गया। कुर्सी में लातमारी और कार्यक्रम से चल लिए। बोले, ‘यहां की पब्लिक इंसान को इंसान नहीं समझती।’
रविवार की रात बुलेट आर्केस्ट्रा की ओर से पार्श्वगायक मुकेश की याद कार्यक्रम का आयोजन फनसिटी में किया गया था। इसमें अभिनेता राजपाल यादव को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया था। कार्यक्रम में सपा जिला अध्यक्ष वीरपाल यादव भी पहुंचे। करीब पौने आठ बजे का समय था। राजपाल का अभिनंदन हुआ।
इसी बीच वहां मौजूद भीड़ राजपाल से हाथ मिलाने को मंच पर चढ़ने लगी। 500-700 लोगों की भीड़ थी। राजपाल किसी तरह मंच से उतरे तो वहां भीड़ ने घेर लिया। धक्की-मुक्की होने लगी। फिर तो राजपाल का गुस्सा चेहरे पर साफ झलकने लगा। आर्केस्ट्रा के डायरेक्टर रॉवर्ट जॉनसन को जमकर सुना डाला।
अव्यवस्था को लेकर जमकर सुनाई। पुलिस ने राजपाल को किसी तरह भीड़ से बचाकर कार तक पहुंचाया। राजपाल बोले-49 बार बरेली आया हूं। यहां की पब्लिक इंसान को इंसान नहीं समझती। करीब दस मिनट में कार्यक्रम समाप्त हो गया।
हंसमुख चेहरे था गुस्सा
अभिनेता राजपाल की फिल्म हंगामा का डायलॉग ‘मैं क्या मंदिर का घंटा हूं, जो भी आता है बजाकर चला जाता है’ राजपाल के इस डॉयलॉग को खूब पसंद किया गया था। रविवार की रात फनसिटी में जब भीड़ ने उन्हें घेरा तो कुछ दर्शकों के मुंह से यही डॉयलॉग निकला। पहली बार अभिनेता राजपाल के हंसमुंख चेहरे पर इतना गुस्सा देखा गया।
जाने कहां गए वो
बुलेट आर्केस्ट्रा की ओर से हर साल मुकेश की याद में कार्यक्रम होता है। मुख्य अतिथि राजपाल यादव के पहुंचने से पहले कलाकरों ने रंगारंग कार्यक्रम किए। गीतों की महफिल सजी। मुकेश के गीतों को गायकों ने सुनाकर समा बांध दिया। शाम सात बजे से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। पौने आठ कार्यक्रम हंगामा के बाद खत्म हो गया।