मोदी और शाह की वजह से इस माह नहीं होगा योगी मंत्रिमंडल का विस्तार
दरअसल, पार्टी नेतृत्व की योजना कर्नाटक विधानसभा चुनाव के तत्काल बाद मंत्रिमंडल विस्तार को हरी झंडी देने की थी लेकिन कैराना और नूरपुर उपचुनाव में मिली हार के बाद नेतृत्व ने विस्तार में सपा-बसपा को चुनौती देने वाली सोशल इंजीनियरिंग तैयार करने पर जोर दिया।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस क्रम में सूबे में 50 फीसदी वोट हासिल करने और सपा-बसपा को चुनौती देने वाले फार्मूले पर फिट बैठने वाले विधायकों की सूची तैयार की गई। इसी बीच शाह के देश भर में जुलाई अंत तक चलने वाला महा जनसंपर्क अभियान और मोदी की सूबे की ताबड़तोड़ यात्रा के कार्यक्रम के कारण इस पर अंतिम विचार विमर्श नहीं हो पाया।
मोदी 14-15 जुलाई को आजमगढ़, वाराणसी और मिर्जापुर, 21 जुलाई को शाहजहांपुर के बाद 29 जुलाई को लखनऊ का दौरा करने वाले हैं।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि शाह ने 4 और 5 जुलाई को सूबे में प्रवास के दौरान मंत्रिमंडल विस्तार पर प्रारंभिक चर्चा की थी। इसके बाद उन्होंने सरकार और संगठन को पीएम के कार्यक्रम में जुटने का निर्देश देते हुए अगस्त में इस मामले में विस्तार से चर्चा की बात कही थी।
सहयोगी दलों पर निगाहें
पार्टी नेतृत्व की योजना मिशन-2019 के लिए अपने दोनों सहयोगियों अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को साधने की है। इसी के तहत शाह ने सीएम योगी के साथ मिर्जापुर में अनुप्रिया पटेल के साथ चाय पर चर्चा की थी।
नेतृत्व नहीं चाहता कि चुनाव से ठीक पहले सूबे में एनडीए में फूट का संदेश जाए। पटेल बिरादरी में पैठ रखने वाले अपना दल से पार्टी के समीकरण ठीक हैं। हालांकि शाह के दौरे के बाद अपना दल योगी सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री पर पार्टी में फूट डालने की साजिश का आरोप लगा रही है। जबकि सुहेलदेव पार्टी प्रमुख ओमप्रकाश राजभर लगातार बगावती तेवर अपना रहे हैं। पार्टी की रणनीति राजभर को मनाने की अंतिम कोशिश करने की है।