नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने कर संरचना और निजीकरण पर खुलकर अपने विचार रखे। नरेंद्र मोदी ने कहा कि यदि वह सत्ता में आते हैं तो राज्य सरकारों के सहयोग से अखिल भारतीय स्तर पर उत्पाद कर एवं सेवा कर निर्धारित किया जाएगा और राजनीतिक भेदभाव से इतर राज्य इकाइयों के निजीकरण और अवसंरचना के विकास पर जोर दिया जाएगा। एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में नरेंद्र मोदी ने कहा कि विदेशी कर्ज का नए सिरे से अवमूल्यन किए जाने की जरूरत है। यहां तक कि उनकी जनोन्मुख और रोजगारोन्मुख सरकार मौजूदा रियायतें बंद नहीं करेगी और पूंजीवाद का पक्ष भी नहीं लेगी। मोदी ने समाचार चैनल सीएनबीसी आवाज से कहा ‘‘हम हमेशा से उत्पाद कर और सेवा कर के पक्ष में रहे हैं। लेकिन इसे देशभर में सूचना प्रौद्योगिकी का संजाल स्थापित करके ही सफल बनाया जा सकता है। बिना पर्याप्त सूचना प्रौद्योगिकी नेटवर्क स्थापित किए इस तरह की कर प्रणाली को लागू कर पाना असंभव है।’’ मोदी ने आगे कहा ‘‘केंद्र सरकार जीएसटी लागू करने में असमर्थ रही है क्योंकि इसके लिए उसे राज्यों के साथ साझेदारी के तहत काम करना पड़ता।’’ मोदी ने हालांकि यह भी कहा कि यह अखिल भारतीय कर प्रणाली तब तक लागू नहीं की जा सकती यदि राज्य राजस्व घाटा वहन करने के लिए राजी हो जाएं या उनके बीच मतभिन्नता हो। प्रत्यक्ष विदेशी नीति पर हालांकि मोदी ने पार्टी के घोषणापत्र में उल्लिखित बातें ही दोहराईं। मोदी ने कहा ‘‘अभी हमें खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर पूरी तरह विचार करना होगा। हमें देश के उत्पादन सेक्टर का बचाव करना होगा। हमें लघु पैमाने पर उत्पादन करने वालों के बारे में भी सोचना होगा। अगर देश में विदेशी उत्पादों की भरमार हो जाएगी तो देश के युवा बेरोजगार ही रह जाएंगे।’’ मोदी ने यह भी कहा कि यदि भाजपा सत्ता में आती है तो भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक संबंधों को प्रगाढ़ करने की दिशा में कारोबार वाणिज्य और प्रौद्योगिकी प्रमुख तत्व होंगे। मोदी ने कहा ‘‘कारोबार वाणिज्य और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना देश के हित में होगा।’’