मोदी के लिए 2019 में सत्ता की चुनौती बन रहे किसानों को साधने के लिए जुटा आरएसएस
पीएम मोदी और भाजपा के लिए चुनौती बन रहे किसानों को साधने का जिम्मा अब संघ ने अपने उपर ले लिया है। पीएम मोदी की मुश्किलें कम करने की कवायद में संघ ने किसानों के बीच अपनी गतिविधि को तेज करने का निर्णय लिया है। आने वाले दिनों में संघ के शीर्ष नेता किसानों के बीच विभिन्न माध्यमों से गतिविधि करते नजर आएंगे। लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर मोदी के संकट मोचक की भूमिका में संघ अपनी रणनीति बना रहा है।
इस बाबत संघ के शीर्ष नेतृत्व को अपने तंत्र के जरिये जो जमीनी आकलन मिले हैं, उसमें किसानों की नाराजगी का मुद्दा सबसे विकट है। भाजपा शासित राज्यों का मामला हो या केंद्र का, सरकार का कमजोर पक्ष यही है कि किसानों के बीच उसकी चमक कम हुई है।
केंद्र सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के तमाम प्रयास जरूर किए हैं। मगर जमीन पर इसका अहसास नजर नहीं आ रहा है। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव 2019 के लिए किसानों की समस्या को भाजपा के खिलाफ सबसे कमजोर कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। नागपुर में शुक्रवार से शुरू हुई संघ की सबसे अहम माने-जाने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक में भगवा परिवार ने किसानों के बीच अधिक कार्य करने की योजना बनाई है।
किसानों के बीच और अधिक कार्य करेगा संघ: कृष्ण गोपाल
प्रतिनिधिसभा बैठक की विस्तार से जानकारी देते हुए संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने कहा है कि संघ अपने विभिन्न सामाजिक दायित्वों का निर्वहन हमेशा करते आया है। किसानों के बीच अब और अधिक कार्य करने की योजना है। देश का किसान समृद्ध हो, आर्थिक दृष्टि से संपन्न हो और सांस्कृतिक दृष्टि से भी समृद्ध हो ऐसी संघ की इच्छा है। और उस दिशा में संघ अपना कार्य आगे बढ़ाना चाहता है।
इसके अलावा कृष्ण गोपाल ने जानकारी दी है कि प्रतिनिधि सभा की बैठक में एक भाषा और बोली के संरक्षण हेतु भी प्रस्ताव पारित होगा। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे हमारी स्थानीय बोलियां समाप्त हो रही हैं। इसलिए इसका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।
किसानों के बीच संघ क्यों तेज करेगा अपना अभियान
किसानों के बीच और अधिक कार्य बढ़ाने की संघ की योजना के पीछे 2019 का अभियान माना जा रहा है। यही वह कड़ी है जो कि पीएम मोदी को दोबारा से केंद्र की सत्ता प्रदान कराने की राह में रोड़ा बन सकती है। इसलिए संघ परिवार समय रहते मोदी की राह में रूकावट बन रहे इस रोड़े को दूर कर लेना चाहता है। केंद्र ही नहीं भाजपा शासित राज्यों के लिए किसान और उनके आंदोलन समस्या बने हुए हैं।
बीते दिनों राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, यूपी, महाराष्ट्र समेत बीजेपी शासित राज्यों में ही किसान आंदोलनों का जोर ज्यादा नजर आया। गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को इसका खामियाजा भी नजर आया। ग्रामीण इलाकों में पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। वो तो शहरी क्षेत्रों ने भाजपा की उम्मीद बचा ली। वरना गुजरात भाजपा की झोली से निकल जाता।
गुजरात के बाद राजस्थान और मध्य प्रदेश के उपचुनाव परिणामों ने भी भगवा परिवार के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रखी हैं। यही वजह है कि संघ ने भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रहे किसानों के मामले पर खुद से मोर्चा संभालने का निर्णय लिया है।
देश के 95 प्रतिशत जिलों में संघ की शाखाएं
कृष्ण गोपाल ने कहा है कि देशभर में संघ की गतिविधियां बढ़ी हैं। संघ के बढ़ते प्रभाव की जानकारी देते हुए कृष्ण गोपाल ने कहा कि देश के कुल 95 प्रतिशत जिलों में संघ का कार्य चल रहा है। आज देश में शाखाओं की कुल संख्या 58,967 हो गई हैं।
देशभर में प्रतिदिन 37,000 स्थानों पर संघ की शाखाएं लगती हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं का रूझान संघ की ओर तेजी से बढ़ रहा है। प्राथमिक शिक्षा वर्ग के जरिए 15 से 25 आयु वर्ग के 95,318 कार्यकर्ता प्रशिक्षित हुए हैं।