मोदी के शरीर में प्राण फूंक देंगे गुजरात चुनाव
(विशेष प्रस्तुति : फ़िरोज़ बख़्त अहमद)
गुजरात चुनाव की बड़ी धूम है। वैसे तो हर चुनाव की बहार होती है, मगर इस बार भले ही मोदी और राहुल गांधी के अनुसार इस चुनाव में पिछले चुनाव के मुकाबले कोई बहुत बड़ा अंतर न हो, मगर मीडिया का बाजार बराबर गर्म है। गांधी परिवार को समर्पित मीडिया समूह का मानना है कि इस बार कांग्रेस गुजरात भाजपा को करारी टक्कर देगी और कोई अजब नहीं कि कांग्रेस सरकार भी बना जाए। उधर भाजपा को समर्पित मीडिया समूहों का मानना है कि जो लोग कह रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस में टक्कर जोरदार होगी, उनका कुछ वही हाल है कि जैसा कहावत बिल्ली ख्वाब में छीछड़े नजर आते हैं! भाजपावादियों का मानना है कि टक्कर तो छोड़िए कांग्रेस दूर-दूर तक मैदान में नहीं है। मैदान में कौन टिकेगा, भाजपा या कांग्रेस इसका निर्णय तो 18 दिसंबर को हो ही जाएगा मगर जिस प्रकार से इस संबंध में उन्माद की सी स्थिति देखने में आ रही है, उससे इस वर्श गुजरात चुनाव का स्तर बहुत निम्न हो चुका है। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों ओर ही एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए किसी प्रकार की कसर भी नहीं छोड़ी जा रही है। जहां राहुल गांधी को साक्षीजी महाराज ने खिलजी की औलाद पुकारा, तो उधर कांग्रेस के मणि शंकर अय्यर ने तो प्रधानमंत्री मोदी तक को नीच कह दिया।
बजाए इसके कि प्रगति, उन्नति और राश्ट्रवादी विचारों की बात की जाए, भाजपा एवं कांग्रेस एक दूसरे के ऊपर कीचड़ उछालने एवं छीछालीदर करने में एक दूसरे के प्रति पीछे नहीं रहना चाहते। जब राहुल गांधी ने गुजरात में कुछ मंदिरों का भ्रमण किया और सोमनाथ मंदिर में उनके एक साथी ने जब उनका नाम आगंतुकों की तालिका में दर्ज किया तो उस पर ही कई प्रकार के स्कैंडल कर दिए गए। यहां तक कि कुछ भाजपा समर्थकों ने तो गैर हिंदू ही घोशित कर दिया, जब कि एक अंग्रेजी चैनल तो उन्हें कैथोलिक ईसाई की पदवी तक दे दी। उसके बाद एक अजीब होड़ चली कि हिंदू कौन है। कांग्रेसी भाजपाइयों के जाल में फंस गए और उन्होंने राहुल गांधी, राजीव गांधी आदि के ‘‘जनेऊ’’ तक प्रमाण स्वरूप पेष कर दिए। मजे की बात यह है कि किसी ने कहा कि जहां राहुल गांधी का सोमनाथ रजिस्टर में नाम फोटाकापी का कमाल है तो उधर कुछ लोग यह कहने से भी नहीं चूके कि राहुल गांधी, जनेऊ नहीं नाड़ा पहने हुए थे। कुछ भी कहो अगर किसी ने राहुल गांधी का नाम फोटोषाप करके भी लगाया हो तो उधर कांग्रेसियों को इस जाल में फंसने की आवष्यकता नहीं थी। यह तो सम्पूर्ण विष्व जानता ही है राहुल गांधी एक जन्म सिद्ध हिंदू हैं। हां, राहुल के इस हिंदू-गैर हिंदू प्रकरण से इस बात का अवष्य पता चलता है कि गुजरात चुनाव में हिंदू वोट बैंक की चिंता इन दोनों बड़ी पार्टियों को अधिक है न कि मतदाताओं की समस्याओं से। याद रहे कि भारत में जब-जब हिंदू-मुस्लिम सियासत हुई, उससे देष की साझा विरासत को जबर्दस्त धक्का लगा है। यह बड़े खेद का विशय है कि सदियों से षीर-ओ-षकर की माफिक साथ मे रह रहे हिंदुओं एवं मुस्लिमों को कट्टरपंथ के रास्ते पर चलाने के लिए और चुनाव जीतने के लिए इतनी भयावह एवं वीभत्स राजनीति का सहारा लिया जा रहा है। आजकल का मंत्र है कि किसी प्रकार से भी चुनाव जीता जाए, जिसे अंग्रेजी में, ‘‘बाई हुक और बाई क्रुक’’ कहा जाता है।
आखिर हम कहां जा रहे हैं? जहां एक ओर मंदिर-मस्जिद की सियासत को हर कोई भुनाने में लगा है दूसरी ओर कुछ वातावरण को सांप्रदायिकता के खून से रंगने को उतावले हैं। हाल ही में सोषल मीडिया पर एक वीडियो आया कि जिसमें एक मुस्लिम लड़के ने एक हिंदू लड़के ने प्रेम किया तो उसका खमियाजा उसे इस प्रकार से भुगतना पड़ा कि गेरुवे कपड़ों में एक युवक उसे किसी एकांतमय स्थान पर ले गया और हिंदू लड़की से इष्क करने पर उसको पेड़ काटने वाली कुल्हाड़ी से लगातार काटा कि उसकी जान चली गई। यही नहीं इसके बाद उसने स्वयं ही इस जघन्य पाप की वीडियो बनवा एक वार्निंग के साथ सोषल मीडिया पर डाल दी, अगर हिंदू लड़कियों से प्रेम किया तो यही हाल होगा। यह कौन सा भारत बनाने जा रहे हैं। जहां तक गुजरात चुनाव का प्रष्न है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी को लगभग सवा सौ सीटें मिलना तय है क्योंकि वह उन्होंने अपने 15 वर्श में बहुत काम किया है। वैसे भी मोदी को गुजरात में कोई पिता समान समझता है तो कोई ‘‘मोटा भाई’’ अर्थात् बड़ा भाई मानता है। यह तो तय कि गुजरात की सरजमीन अपने सपूत को धोखा नहीं देगी और मीडिया में जिस प्रकार का प्रचार हो रहा है कि मोदी की सीटें घटेंगी और कांग्रेस की बढ़ेंगी तो ऐसी दूर-दूर तक ऐसी कोई संभावना लेखक को तो दिखाई नहीं देती।
आजकल गुजरात में तीन युवाओं को बड़ा चर्चा है, अर्थात् हार्दिक पटेल, जिग्नेष मेवानी और अल्पेष ठाकोर जिनका आजकल लव जिहाद, नहीं लव कांग्रेस चल रहा है, सोचते हैं कि मोदी का घेराव कर लेंगे। राहुल गांधी और ये तीनों युवक आजकल मोदी का गुजरात मॉडल फेल करने में लगे हैं। उनके मुद्दे हैं कि मोदी जी मात्र जबानी जमा खर्च में बोली की खाते है और धरातल पर उनका कोई विषेश कार्य नहीं, अर्थात् जैसे तहसीन पूनावाला ने कहा था कि मोदीजी जबान के ग़ाज़ी और अमल से खाली हैं। साथ ही साथ इस युवा मण्डली ने नोटबंदी और जीएसटी को भी भुनाने की कोषिष की है। जहां तक नोटबंदी से सरकार के बैंकों में आए जमा पैसे की बात है, भले ही उसकी गिनती किसी को पता न हो मगर मोटे तौर पर राजनीतिक पण्डितों का मानना है कि इससे लगभग 14 लाख करोड़ काला धन बैंकों में आ सफेद हो गया है। सरकार ने यह धन देते समय वादा किया था कि इसको जन सुविधाओं में लगाया जाएगा। ईमानदारी की बात है भारतवासियों ने बड़े बलिदान देकर दिल पर पत्थर रख कर इस नोटबंदी को झेला केवल इसलिए कि यह रूपया सार्वजनिक रूप से जनता के ऊपर खर्च किया जाएगा। यदि नोटबंदी के बाद मोदी सरकार जनता को सुविधा प्रदान करने के लिए पेट्रोल 10 रूपए प्रति लीटर घटा देती, बिजली के बिल आधे अथवा एक चौथाई कर देती या इसी प्रकार को कोई कार्य कर देती कि जिसमें जनता को यह महसूस होता कि कुछ वस्तुओं पर पैसे घटा दिए गए हैं तो वह गद गद हो उठती। यदि आज भी मोदी सरकार इस प्रकार कोई कार्य कर देती है तो 2019 में उसकी जीत पक्की है।
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार एवं मौलाना आज़ाद के पौत्र हैं)