पेटा ने कहा कि मोदी एक शाकाहारी, दयालु, स्वस्थ और पर्यावरण को अनुकूल बनाए रखने में उनके खाने की महत्वपूर्ण भूमिका है। पेटा ने आगे कहा कि यह समय है कि केंद्र सरकार को अपने नेतृत्व का पालन करना चाहिए और अपने भोजन में नॉनवेज खाने को न शामिल कर पर्यावरण की रक्षा करने में योगदान देना चाहिए।
पत्र में यह लिखा गया है कि जर्मनी मंत्रालय पूरी तरह से मांस मुक्त था क्योंकि मांस उत्पादन से जलवायु परिवर्तन का एक प्रमुख कारण है, जिससे पूरे भारत के लोगों को गर्मी और गंभीर सूखा का सामना करना पड़ रहा है।
पत्र में यह कहा गया कि विश्व में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 51 प्रतिशत उत्पादन करने के अलावा मांस का उत्पादन भारी मात्रा में पानी, भूमि और खाद्य संसाधनों का उपयोग करता भी करता है। निकुंज शा ने पत्र में लिखा कि मुझे आशा है कि आप सहमत होंगे कि भारत को एक अच्छा उदाहरण स्थापित करना चाहिए। सभी सरकारी व सरकार प्रायोजित बैठकों और कार्यों के मेनू से पशुओं से उत्पन्न मांस पदार्थों को शामिल न किया जाए इससे पर्यावरण संरक्षण का गहरा संबंध है।