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मोदी बोले, कोरोना से लड़ाई में एकता और भाईचारे को दी जाए प्रधानता

नई दिल्‍ली: देश के लोगों केा सचेत करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि COVID19 जाति, धर्म, रंग, जाति, पंथ, भाषा या सीमाओं को नहीं देखता। इसलिए हमारी प्रतिक्रिया और आचरण में एकता और भाईचारे को प्रधानता दी जानी चाहिए। इस परिस्थिति में हम एक साथ हैं। उन्‍होंने कहा कि भारत के अगले बड़े विचारों को वैश्विक प्रासंगिकता और अनुप्रयोग मिलना चाहिए। उनके पास न केवल भारत के लिए बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए एक सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता होनी चाहिए।’

शारीरिक दूरी का पालन करते हुए चलें दुकानें

उन्‍होंने कहा कि भविष्य में भी दुकानें सोशल डिस्टेंसिंग (शारीरिक दूरी) का पालन करते हुए चलें, हमें यह सुनिश्चित करना है। संकट की घड़ी में इस योगदान के लिए सभी दुकानदार और व्यापारी बधाई के पात्र हैं। छोटे-छोटे दुकानदारों ने पूरी सामाजिक व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। समाज और देश इनके इस योगदान को हमेशा याद रखेगा। मैं जानता हूं कि खुद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और दूसरों से इसका पालन करवाना चुनौतीपूर्ण है। इस संकट की घड़ी में देशवासी लॉकडाउन का पालन कर पा रहे हैं, इसमें समाज के अनेक वर्गों की सकारात्मक भूमिका है। हम कल्पना करें कि हमारे ये छोटे-छोटे व्यापारी और दुकानदार खुद के जीवन का रिस्क न लेते और रोजमर्रा की जरूरत का सामान न पहुंचाते तो क्या होता?

नए बिजनेस मॉडल्स की जरूरत
सोशल मीडिया लिंक्डइन पर साझा किए गए विचारों में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस के संकट से यह पूरी दुनिया को अहसास हो गया है कि अब नए बिजनेस मॉडल्स की जरूरत है। उन्होंने कहा कि युवा ऊर्जा से लबालब भारत कोविड-19 के बाद की दुनिया को यह नया मॉडल देगा। पीएम ने कहा कि कोरोना वायरस के महासंकट ने कितना कुछ बदल दिया है। किसी ने जो सोचा नहीं होगा, वैसी परिस्थितियां पैदा हो गई हैं। उन्होंने लिखा, ‘युवा ऊर्जा से लबालब भारत दुनिया को एक नई कार्य संस्कृति दे सकता है क्योंकि यह राष्ट्र अपने नवोन्मेषी विचारों के प्रति उत्साह के लिए मशहूर है।’

नए व्‍यापार और वर्क कल्चर के लिए किया जरूरी बिंदुओं का उल्लेख

पीएम मोदी ने अंग्रेजी वर्णमाला के पांच स्वर अक्षरों (वॉवेल्स) ए, ई, आई, ओ और यू पर आधारित क्रमशः अनुकूलता, दक्षता, समावेशिता, अवसर और सार्वभौमिकता के जरिए नए व्‍यापार और वर्क कल्चर के लिए जरूरी बिंदुओं का उल्लेख किया।

दुनिया के नए बिजेेनस मॉडल के अनिवार्य अंग बन जाएंगे

उन्होंने लिखा कि मैं इसे वॉवेल्स ऑफ न्यू नॉर्मल कहता हूं क्योंकि अंग्रेजी भाषा में स्वर अक्षरों की तरह ही ये भी कोविड के बाद की दुनिया के नए बिजेेनस मॉडल के अनिवार्य अंग बन जाएंगे। उन्होंने जनधन खातों को आधार और मोबाइल नंबर से जोड़े जाने का गरीबों की जिंदगी पर पड़े असर और शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक के विस्तार के लाभ का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया नए प्रकार के बिजनस मॉडल्स की तलाश कर रही है।

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