उत्तराखंड

मोदी सरकार की वजह से प्यासी रहेंगी उत्तराखंड की 30 हजार बस्तियां

water-tap-550fc30c6728e_exlstदस्तक टाइम्स/एजेंसी उत्तराखंड :  केंद्र सरकार की वजह से उत्तराखंड की 30 हजार बस्तियों (पुरवों) पर पीने के पानी का संकट गहरा गया है।
केंद्र सरकार ने प्रदेश शासन के 1400 करोड़ के स्वजल प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। इस पर केंद्र ने विचार करने से ही मना कर दिया। इससे प्रदेश शासन को तेज झटका लगा है। शासन के समक्ष स्वजल प्रोजेक्ट के दूसरे चरण के क्रियान्वयन में समस्या खड़ी हो गई।

अगर केंद्र से पैसा मिल जाता तो प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के पुरवों और छोटी बस्तियों में पीने के पानी की व्यवस्था की जाती। प्रोजेक्ट को टेक-अप न करने के संबंध में केंद्र का पत्र प्रदेश शासन को मिल गया है।

केंद्र सरकार ने प्रदेश शासन को जो पत्र भेजा है, उसमें स्वजल प्रोजेक्ट पर विचार न करने के पीछे स्वच्छता अभियान का तर्क दिया गया है।

 

केंद्र ने साफ कहा है कि स्वच्छता अभियान में उलझाव और व्यस्तता की वजह से स्वजल प्रोजेक्ट पर विचार नहीं किया जा सकता है। इससे प्रदेश शासन के समक्ष समस्या यह खड़ी हो गई है कि स्वजल के दूसरे चरण के लिए किया गया सारा होमवर्क बेकार हो जाएगा। इसके लिए शासन ने मोटी-मोटी कार्ययोजना तैयार कर ली थी।

इसके साथ ही शासन के आला अधिकारी इस विचार मंथन में जुट गए हैं कि केंद्र सरकार से पैसा न मिलने की स्थिति में स्वजल प्रोजेक्ट को आगे कैसे खींचा जाएगा। शासन के मुताबिक स्वजल प्रोजेक्ट के तहत पिछले पांच सालों में 12 हजार बस्तियों और पुरवों में पानी की व्यवस्था की जा चुकी है। अब दूसरे चरण का कार्य शुरू होना है।

इस संबंध में शासन के अपर मुख्य सचिव एस. राजू ने बताया कि स्वजल प्रोजेक्ट के संबंध में केंद्र से भेजा गया पत्र शासन को मिल गया है। योजना चलाने के लिए सरकार किसी और मद से व्यवस्था करेगी। स्वजल योजना के तहत स्वच्छ पीने के पानी की व्यवस्था, प्राकृतिक जलस्रोतों का संरक्षण आदि कार्यक्रम चलाए जाते हैं।

 

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