केंद्र सरकार ने प्रदेश शासन के 1400 करोड़ के स्वजल प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। इस पर केंद्र ने विचार करने से ही मना कर दिया। इससे प्रदेश शासन को तेज झटका लगा है। शासन के समक्ष स्वजल प्रोजेक्ट के दूसरे चरण के क्रियान्वयन में समस्या खड़ी हो गई।
अगर केंद्र से पैसा मिल जाता तो प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के पुरवों और छोटी बस्तियों में पीने के पानी की व्यवस्था की जाती। प्रोजेक्ट को टेक-अप न करने के संबंध में केंद्र का पत्र प्रदेश शासन को मिल गया है।
केंद्र सरकार ने प्रदेश शासन को जो पत्र भेजा है, उसमें स्वजल प्रोजेक्ट पर विचार न करने के पीछे स्वच्छता अभियान का तर्क दिया गया है।
इसके साथ ही शासन के आला अधिकारी इस विचार मंथन में जुट गए हैं कि केंद्र सरकार से पैसा न मिलने की स्थिति में स्वजल प्रोजेक्ट को आगे कैसे खींचा जाएगा। शासन के मुताबिक स्वजल प्रोजेक्ट के तहत पिछले पांच सालों में 12 हजार बस्तियों और पुरवों में पानी की व्यवस्था की जा चुकी है। अब दूसरे चरण का कार्य शुरू होना है।
इस संबंध में शासन के अपर मुख्य सचिव एस. राजू ने बताया कि स्वजल प्रोजेक्ट के संबंध में केंद्र से भेजा गया पत्र शासन को मिल गया है। योजना चलाने के लिए सरकार किसी और मद से व्यवस्था करेगी। स्वजल योजना के तहत स्वच्छ पीने के पानी की व्यवस्था, प्राकृतिक जलस्रोतों का संरक्षण आदि कार्यक्रम चलाए जाते हैं।