नई दिल्ली। मोदी सरकार अब कामकाजी महिलाओं के लिए नया नियम लाई है। इसके तहत अगर महिला कर्मचारी कार्यस्थल पर यौन शोषण की शिकायत दर्ज कराती है तो उसे 90 दिन की पेड लीव मिलेगी।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने इस संबंध में हाल में सेवा नियमावली में फेरबदल किए हैं। हालांकि यह अवकाश तभी तक जारी रहेगा जब तक मामले की जांच चलेगी।
यौन शोषण मामले में सरकार सख्त
केंद्र सरकार की तरफ से जारी नए नियम में कहा गया है कि आफिस में महिलाओं से यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण अधिनियम-2013) के तहत जब तक जांच की रिपोर्ट नहीं आ जाती, सरकारी महिला कर्मचारी को 90 दिन तक का विशेष अवकाश दिया जाएगा।
लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि यौन उत्पीड़न का आरोपी पीड़ित को धमकाने और जांच को प्रभावित करने की कोशिश करता है, इस नाते यह नियम लाया गया। यह विशेष अवकाश तभी मिलेगा जब इस तरह के मामलों को देखने वाली स्थानीय कमेटी या आंतरिक कमेटी इसकी सिफारिश करती है।
ऐसे ममालों में पीड़ित महिला आंतरिक कमिटी की सिफारिश के आधार पर स्पेशल लीव दी जाएगी और आरोपों की जांच के लिए एक स्थानीय कमिटी का गठन किया जाएगा। पीड़ित महिला को दी गई छुट्टियां उसके खाते की छुट्टियों से नहीं काटी जाएंगी। ये छुट्टियां पहले से केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाली छुट्टियों के अलावा होंगी।
दिसंबर 2016 में डीओपीटी ने कार्यस्थल पर यौन शोषण का शिकार होने वाली महिलाओं के मामलों को लेकर दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसके तहत 30 दिनों में केस की जांच पूरी करने की बात कही गई थी। य़ह भी कहा गया था कि किसी भी सूरत में शिकायत किए जाने के 90 दिनों के भीतर जांच पूरी हो जानी चाहिए।
इस संबंध में सभी मंत्रियों को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के समक्ष मासिक रिपोर्ट सौंपनी होगी, ताकि मामले की कार्रवाई पर नजर रखी जा सके।