अपनी सुरक्षा के लिए मनुष्य हर संभव प्रयास करता है। जहां एक ओर धातुओं से बना कवच व्यक्ति की रक्षा करता है, वहीं अगर मंत्रों की शक्ति, अध्यात्म-हिंदू संस्कृति की मानें, तो मात्र कुछ मंत्रों के उच्चारण के साथ बांधे गए कच्चे धागे भी अदृश्य कवच की भांति मनुष्य की रक्षा करते हैं। नजर दोष, भूत-प्रेत बाधा के लिए भी ये धागे कारगर सिद्ध होते हैं।
कच्चे सूत से तैयार किया यह धागा कलावा और मौली आदि नामों से जाना जाता है। इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है। इसमें कई रंगों का समावेश होता है, लेकिन मुख्यतः लाल और पीला रंग अधिकतम दिखाई देता है। इसलिए प्रत्येक मांगलिक कार्य में इन शुभ रंगों को संजोए कलावे का प्रयोग आवश्यक माना जाता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, लाल रंग का संबंध मुख्यतः सूर्य और मंगल ग्रह से है, साथ ही पीला रंग देवताओं के गुरु देवगुरु बृहस्पति का प्रतीक है। बृहस्पति ज्ञान का कारक ग्रह है। मौली बांधने से जहां एक ओर ज्ञान की वृद्धि होती है, वहीं दूसरी ओर साहस, आत्मविश्वास और पराक्रम में वृद्धि होती है।कहते हैं कि जिस भी देवी-देवता की पूजा करके यह कलावा अथवा रक्षा सूत्र बांधा जाता है, उस देवी-देवता की अदृश्य शक्ति धागों में समाहित होकर मनुष्य की मनोकमानाएं पूर्ण करने के साथ ही रक्षा करती है। सनातन धर्म में सदियों से माना जाता है कि कलाई पर कलावा बांधने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है और शुभ ग्रह अनुकूल हो जाते हैं। कलावे को बांधने के धार्मिक महत्व के साथ-साथ कई वैज्ञानिक महत्व भी हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं। कलाई पर मौली या कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है। एक्यूप्रेशर की भांति कलाई पर इन धागों का दबाव बनने के कारण त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ का सामंजस्य बना रहता है और कई प्रकार की बीमारियां दूर होने लगती हैं। कलावा बंधवाते समय आपकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और आपका दूसरा हाथ सिर पर रखा होना चाहिए। अगर आप पर्व के अलावा किसी अन्य दिन मौली बंधवाना चाहते हैं, तो मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता है।
नवरात्रि, दीपावली आदि विशेष पर्वों पर पुराने मौलीे के स्थान पर नया मौली अवश्य धारण करना चाहिए। मौली को केवल हाथ की कलाई पर ही नहीं, बल्कि गले, कमर में भी बांधा जाता है। वाहन, बही-खाता, घर के मुख्य दरवाजे, चाबी के छल्ले और तिजोरी पर पवित्र मौली बांधने से लाभ होता है। इससे बनी सजावट की वस्तुएं घर में रखने से नई खुशियां आती हैं। जिन घरों में भूत-प्रेत अथवा किसी भी प्रकार की ऊपरी बाधा हो, वहां मौलीे में सुपारी, लौंग, इलायची अभिमंत्रित कर शुुभ मुहूर्त में बांधी जाती है, ताकि नकारात्मक ऊर्जा वहां से कोसों दूर रहे।
कलावे को मंत्र पढ़कर कलाई में बांधने से यह सूत्र त्रिदेवों और त्रिशक्तियों को समर्पित होकर धारण करने वाले प्राणी की हर प्रकार से रक्षा होती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, माना जाता है कि दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधे थे। कलावा बांधने का मंत्र है- ‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।’ शास्त्रों के अनुसार, मौली बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु, महेश व तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती की कृपा बरसती है।