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म्यांमार सीमा पर मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता में हुई थी पहली बार बेहद सफल सर्जिकल स्ट्राइक

नई दिल्ली : गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर का बीते रविवार यानि 17 मार्च को निधन हो गया। 9 नवंबर 2014 से 13 मार्च 2017 तक वह देश के रक्षामंत्री भी रहे। यह वही काल था जब भारतीय सेना ने म्यांमार की धरती पर जाकर आतंकियों का सफाया किया था। इसी दौरान 29 सितंबर 2016 भी आया जब भारतीय सेना के जांबाजों ने गुलाम कश्मीर पीओके में घुसकर आतंकियों के ट्रेनिंग कैंपों पर हमला किया। भारत के वीर जवानों ने पार की और गुलाम कश्मीर में घुसकर न सिर्फ आतंकी कैंपों को ध्वस्त किया और आतंकियों को मौत के घाट उतारा, बल्कि सुरक्षित वापस भी लौट आए। गुलाम कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के पीछे तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर को पूछा गया एक अपमानजनक प्रश्न भी जिम्मेदार था। मणिपुर में 4 जून 2015 को एनएससीएन-के उग्रवादी संगठन द्वारा भारतीय सेना के 6 डोगरा रेजिमेंट के कानवॉय को निशाना बनाए जाने के साथ हुई। मणिपुर के चंदेल जिले में उग्रवादियों ने भारतीय सेना पर घात लगाकर हमला किया और इस हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। पर्रीकर ने आगे कहा, ‘जब मुझे इस घटना के बारे में पता चला तो, बहुत बुरा लगा। सिर्फ 200 आतंकवादियों के एक छोटे से आतंकी संगठन द्वारा 18 डोगरा सैनिकों की जान लेने की घटना भारतीय सेना के लिए शर्मनाक घटना थी। हम लोगों ने लगातार बैठकें की और पहली सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में निर्णय लिया।’ मनोहर पर्रीकर ने उस वक्त बताया, ‘8 जून की सुबह हमने म्यांमार सीमा पर इस कार्रवाई को अंजाम दिया और 70-80 उग्रवादियों को मार गिराया।’ उन्होंने कहा, ‘यह कार्रवाई बेहद सफल रही। इस दौरान सिर्फ एक भारतीय सैनिक का खून बहा और वह भी सैनिक के पैर पर जोंक चिपक गई थी इसलिए।’ म्यांमार सीमा पार करके भारतीय सेना ने मणिपुर में हमारे 18 सैनिकों की हत्या करने वाले आतंकियों को सबक सिखाया। सोना की इस कार्रवाई से जवानों का मनोबल काफी ऊपर था। देश में मोदी सरकार की भी वाहवाही हो रही थी, रक्षामंत्री पर्रिकर का सीना भी गर्व से फूल गया था। एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ सैन्य सर्च ऑपरेशन के बारे में समझा रहे थे।

इसी बीच एक न्यूज एंकर ने उनसे प्रश्न पूछा, क्या आपके अंदर पश्चिमी सीमा पर भी ऐसा ही करने की हिम्मत और क्षमता है? मनोहर पर्रीकर ने बाद में एक इंटरव्यू के दौरान बताया, इस प्रश्न ने मुझे काफी चोट पहुंचाई। उन्होंने कहा, उस समय मैंने बड़ी गंभीरता से उस सब को सुना और सोच लिया कि समय आने पर इसका जवाब जरूर दूंगा। मनोहर पर्रीकर ने बताया कि मीडिया के एक प्रश्न ने उन्हें काफी परेशान किया और उसके बाद गुलाम कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी की गई थी। यह प्रश्न एक टीवी एंकर ने सूचना प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ से साल 2015 में म्यांमार सीमा पर हुए एंटी इनसर्जेंसी ऑपरेशन के बाद पूछा था। मनोहर पर्रीकर ने बताया कि गुलाम कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी 15 महीने पहले मणिपुर में उग्रवादियों के दुस्साहस के बाद म्यांमार सीमा पर की गई कार्रवाई के बाद शुरू की गई थी। 15 महीने की तैयारी के बाद आखिरकार वह दिन भी आ गया। 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना के जवान एलओसी पार करके गुलाम कश्मीर में घुसे और नियंत्रण रेखा के आसपास आतंकियों के कई लॉन्च पैड ध्वस्त कर दिए। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस सर्जिकल स्ट्राइक में 35-50 के बीच आतंकी मारे गए थे। पर्रीकर ने उस वक्त बताया, ‘डीआरडीओ द्वारा विकसित स्वाथी वेपन लोकेटिंग रडार को पहली बार सितंबर 2016 में ही इस्तेमाल किया गया। इसके जरिए पाकिस्तानी सेना के ‘फायरिंग यूनिट’ को लोकेट किया गया। इसकी मदद से पाकिस्तानी सेना की 40 फायरिंग यूनिट को नेस्तनाबूत किया गया।’ हालांकि बता दें कि इस सिस्टम को सेना में सर्जिकल स्ट्राइक के तीन महीने बाद शामिल कर लिया गया था।

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