म्युचुअल फंड में कर रहे हैं निवेश तो न करें ये 5 गलतियां
अगर आप शेयर बाजार की उठापटक को सामान्य तरीके से लेते हैं तो आपको इक्विटी में निवेश करने से नहीं झिझकना चाहिए। लंबी अवधि में इससे बेहतर रिटर्न हो ही नहीं सकता। म्युचुअल फंड सभी के लिए होते हैं। दुनिया भर में लाखों निवेशक म्यूचुअल फंडों में इसलिए निवेश करते हैं, क्योंकि ये उन्हें अपने भविष्य की योजना बनाने तथा अपनी गाढ़ी कमाई को सही जगह पर निवेश करने का अवसर प्रदान करते हैं। मगर इससे पहले आपके लिए निवेश से जुड़ी कुछ बुनियादी बातों को समझ लेना आवश्यक है। साथ ही आपको उन पांच बड़ी गलतियों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए जिसे लोग जाने अनजाने कर ही देते हैं।बिना योजना के निवेश करने से बचें:
म्युचुअल फंड विभिन्न प्रकार के निवेशकों के लिए विभिन्न प्रकार के विकल्प प्रदान करते हैं। आपको निवेश से पहले अपने लक्ष्य और जोखिम सहने की क्षमता के बारे में पता होना चाहिए। ऐसा करके ही आप अपने लिए बेहतर फंड का चुनाव कर पाएंगे। आपको लोकप्रियता के आधार या अपने दोस्तो की सलाह पर आंख बंद करके कोई भी फंड खरीदने या बेचना नहीं चाहिए। अपनी जरूरत को ध्यान में रखते हुए और बिना रिसर्च के कोई भी फैसला लेना जोखिम भरा रहता है।
लालची न बनें:
बाजार में उठापठक की स्थिति चलती रहती है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि जब बाजार चढ़ रहा होता है तो निवेशक इस स्थिति को देखते हुए अपनी सारी पूंजी उस फंड में लगा देते हैं, जो बेहतर परफॉर्म कर रहा होता है। ऐसे में अक्सर नासमझी आपको भारी नुकसान पहुंचा सकती है।
स्टॉक्स की तरह ही पोर्टफोलियो को न जांचे:
अपने म्यूचुअल फंड्स पोर्टफोलियो का शेयरों जैसे मंथन न करें। म्युचुअल फंड में अंतर्निहित शेयरों और बॉन्ड का एक सेट होता है। एक फंड बेचते हुए और एक अन्य एएमसी से एक समान फंड खरीदना अनप्रोडक्टिव होगा। यह स्टॉक को बेचने और खरीदने के बराबर है। इसलिए ऐसा करने से बचें।
म्युचुअल फंड का मूल्यांकन करने के लिए हालिया प्रदर्शन को न देखें:
काफी सारी रेटेड कंपनियां म्युचुअल फंड का मूल्यांकन उनके हालिया प्रदर्शन के आधार पर करती हैं। प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव के साथ ही इनकी रेटिंग में बदलाव कर दिया जाता है। मगर म्युचुअल फंड के प्रदर्शन का आकलन करने पर निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए। स्कीम का मूल्यांकन करने के लिए लॉन्ग टर्म परफॉर्मेंस को परखना बेहतर विकल्प होता है।
बिना रिसर्च के नए फंड ऑफर्स को चुन लेना:
कुछ निवेशक नए फंड ऑफर्स में निवेश करने के लिए बहुत उत्सुक होते हैं और वो मानते हैं कि उनमें आईपीओ के बराबर क्षमता होती है। एनएफओ निश्चित रूप से नए फंड हैं, लेकिन अंतर्निहित परिसंपत्तियां हमेशा नई नहीं होती हैं, यानी आईपीओ के ठीक विपरीत की स्थिति। पुराने इक्विटी फंड में निवेश करना जो नीली चिप कंपनियों में पैसा लगाता है नए फंड जो कंपनियों के एक ही समूह में निवेश करते हैं में कोई खास अंतर नहीं होता है। इसमें मिलने वाला रिटर्न इस बात पर निर्भर करता है कि अंतर्निहित कंपनियां कैसे प्रदर्शन करती हैं।