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म्यूनिसिपल बांड से पैसा जुटाएंगे मप्र के शहर
आवश्यक परियोजनाओं को पूरा करने के लिए मध्य प्रदेश समेत करीब आधा दर्जन राज्यों के नगर निगम म्यूनिसिपल बांड का सहारा लेंगे। अगले पांच से छह महीने के भीतर पहला इश्यू आ जाने की उम्मीद है।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, जवाहर लाल नेहरू मिशन के मानकों को पूरा करने की वजह से अधिकतर टायर-2 और टायर-3 शहरों ने अपने बहीखातों को दुरुस्त कर लिया है, डबल अकाउंटिंग सिस्टम को अपना लिया है और नियमित ऑडिट करवा रहे हैं।
इसके चलते अब इनके द्वारा जारी किए जाने वाले बांड इन्वेस्टमेंट ग्रेड रेटिंग हासिल कर सकेंगे। इससे वे निवेशकों को आकर्षित कर सकेंगे। मल्टी स्टोरी पार्किंग जैसे प्रोजेक्ट, जिसके पूरा होते ही राजस्व मिलने लगता है, उसे नगरीय निकाय म्यूनिसिपल बांड के जरिए बना सकेंगे।
मध्य प्रदेश के अलावा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु के नगरीय निकाय उनके संपर्क में हैं।
ये हैं बांड जारी करने की शर्तें
– मजबूत वित्तीय रिकॉर्ड जरूरी।
– पिछले तीन वित्त वर्ष में निगेटिव नेट वर्थ नहीं होनी चाहिए।
– तीन साल में बैंक या वित्तीय संस्थान को भुगतान में डिफाल्टर नहीं होना चाहिए।
– किसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी से बांड की रेटिंग लेना जरूरी है।