यमुना में प्रदूषित जल छोड़े जाने पर NGT ने दिल्ली और उप्र को लगाई फटकार
नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) (National Green Tribunal (NGT)) ने यमुना नदी में प्रदूषित जल (polluted water in yamuna river) छोड़े जाने पर दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को फटकार लगाई है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अधिकारियों को पद और सुविधाओं का लाभ लेने के लिए नहीं बल्कि लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए नियुक्त किया गया है।
एनजीटी ने कहा कि कई औद्योगिक ईकाइयां खुलेआम प्रदूषित जल यमुना में बहा रही हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है मानो देश में कोई कानून ही नहीं हो। एनजीटी ने कहा कि प्राधिकार की रिपोर्ट के बावजूद एक भी व्यक्ति के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं की गई। एनजीटी ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण, जिलाधिकारियों, उत्तर प्रदेश राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और यहां तक कि उत्तर प्रदेश पुलिस के पास उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की शक्तियां हैं, लेकिन उसके बावजूद नोएडा प्राधिकरण कह रहा है कि उसके पास कोई शक्ति नहीं है। एनजीटी ने कहा कि इन संस्थानों के प्रमुखों को ऐसे दंडनीय अपराधों के लिए व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह बनना होगा।
एनजीटी ने यूपी के वन और पर्यावरण विभाग और शहरी विकास के अतिरिक्त मुख्य सचिवों, नोएडा प्राधिकरण के सीईओ, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, नोएडा के पुलिस आयुक्त, मेरठ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक, दिल्ली के मुख्य सचिव, पूर्वी दिल्ली के विशेष पुलिस आयुक्त को 15 दिनों के भीतर बैठक कर इसके समाधान की योजना बनाने का निर्देश दिया।
नोएडा निवासी अभिषेक कुसुम गुप्ता ने दायर याचिका में कहा है कि नोएडा के सेक्टर 137 के पास सीवर का कचरा सिंचाई की नहर में डाला जा रहा है। इसके पहले एनजीटी ने नोएडा अथॉरिटी और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सिंचाई की नहर में कचरा फेंके जाने के मामले पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि यह नाला दिल्ली के कोंडली से आ रहा है जहां दूसरे नाले भी जुड़े हुए हैं। ये नाला नोएडा के सेक्टर 168 में यमुना में आकर गिरता है। सेक्टर 137 में भी सीवर का कचरा डाला जा रहा है। इसके लिए नोएडा अथॉरिटी ने दिल्ली के मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा था।