यहाँ बराबरी का दर्जा देने के लिये, दुल्हन दुल्हे की मांग में भरती है सिंदूर
हमारे देश में विवाह संस्कार से जुड़ी अनेक परंपराएं हैं. हिन्दू विवाह पद्धति में कुछ परंपराएं ऐसी हैं जिनका निर्वाह शादी में नहीं किया जाए तो शादी पूरी नहीं मानी जाती है. जैसे- मंगलसूत्र पहनाना, मांग में सिंदूर भरना, बिछिया पहनाना आदि. इन रस्मों का निर्वाह शादी में तो किया ही जाता है साथ ही इन सभी चीजों को सुहागन के सुहाग का प्रतीक माना जाता है. इसीलिए हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार इन्हें सुहागनों का अनिवार्य श्रृंगार माना जाता है. लेकिन शादी का रिश्ता बराबरी का होता है. इस रिश्ते में दोनों का ही बराबर का स्थान होना चाहिए.इस बात को ध्यान में रखते हुए हमारे देश के एक गांव में ऐसी परपंरा है, जहां पर दु्ल्हा-दुल्हन दोनों एक-दूसरे की मांग में सिंदूर भरते हैं.शायद आप विश्वास नहीं करेंगे लेकिन यह सच है.
एक-दूसरे की मांग में सिंदूर
यह परपंरा छ्त्तीसगढ़ के सुदूर वनाचल जशपुर जिले में बसी उंराव जनजाति में विवाह के दौरान की जाती है. इस परपंरा में दुल्हा-दुल्हन दोनों एक-दूसरे की मांग में सिंदूर भरते हैं. समाज के लोगों की मान्यता है कि इससे दंपत्ति को वैवाहिक रिश्तों में बराबरी का एहसास होता है.
इस परपंरा में भाई का अहम रोल
विवाह के दौरान घर के आसपास स्थित बगीचे में आमंत्रण का इंतजार करता है. और जब दुल्हन के रिश्तेदार दुल्हे को कंधे पर बैठाकर मंडप में लाते हैं. तो यह रस्म पूरी हो जाती है. इसमें दुल्हन के भाई की अहम भूमिका होती है. वह बहन की अंगुली पकड़ता है और दुल्हन भाई के सहारे दुल्हे को बिना देखे यानि कि पीछे की ओर हाथ करके सिंदूर भरती है.
यदि दुल्हन का भाई न हो तो
वह रस्म बहन पूरी करती है. उंराव परपंरा के जानकार बताते हैं कि दोनों तीन-तीन बार एक-दूसरे की मांग पर सिंदूर भरते हैं. रिश्तों की मजबूती के लिये इस दौरान कई बातों का गंभीरतापूर्वक ध्यान रखा जाता है.
इस परपंरा के कुछ नियम
पंच के रूप मे गांव के 5 वरिष्ट सदस्य चादर से एक घेरा बनाते हैं. उसके अंदर कुछ खास रिश्तेदार बतौर गवाह होते हैं. और बुजुर्ग बाहर से बार-बार आवाज देते हैं कि एक बार और अच्छे से एक-दूसरे को देख लो, जान लो, फिर सिंदूर भरना. प्रधान का कहना की इस रस्म में भाई के रिश्तों की मजबूती भी झलकती है.
सिंदूर गोतिया की रस्म
उच्च शिक्षा पाकर विवाह बंधन में बंधे मोना प्रधान और विनय निकुंज ने बताया कि ये परपंरा उनके लिेये महत्वपूर्ण है और बराबरी का रिश्ता होने का एहसास दिलाती है. विवाह के पूर्व सिंदूर गोतिया कि रस्म होती है जिसमें दुल्हा-दूल्हन साथ में सिंदूर खरीदने जाते हैं. उसे भाभियां आंचल में रखकर छुपा लेती हैं.और शादी वाले दिन दोनों को देती हैं.