पर्यटन

यहां के सुंदर पहाड़ पढ़ाते हैं स्‍वच्‍छता के पाठ, नियम-कायदे जान रह जाएंगे हैरान

यहां हर सामान कागज के लिफाफे में ही दिया जाता है। आइसक्रीम, चॉकलेट अगर आप वहीं खोलते हैं, तो दुकानदार खुद आपसे उसका रैपर लेकर कूड़ेदान में डाल देता है।

सुदूर उत्तर पूर्व का सिक्किम राज्य अपने सौंदर्य ही नहीं, स्वच्छता के संस्कार और नागरिक जागरुकता में भी आकर्षित करता है। महात्मा गांधी रोड पर लगी गांधी जी की बड़ी सी प्रतिमा जैसे हर आने-जाने वाले को इन घुमावदार रास्तों को स्वच्छ बनाए रखने के संस्कार सौंप रही है…एक व्यस्त सड़क जिस पर सैकड़ों गाडि़यां आ जा रही हैं तभी सिग्नल लाल होता है और हर गाड़ी बिलकुल एक के पीछे एक खड़ी हो, बिना हॉर्न बजाये तो इसे देख कर कौन अभिभूत नहीं होगा?

जी हां, यह है सिक्किम की राजधानी गंगटोक। धूल धुंए रहित, बिना शोर-शराबे का एक शांत पहाड़ी शहर। यहां हिन्दू और बौद्ध लोग बहुतायत में हैं। मिलनसार स्थानीय लोगों से बात करके मालूम हुआ कि यहां पब्लिक प्लेस पर हॉर्न बजाना और सिगरेट पीना मना है। पर लिकर (शराब) कोई भी, कभी भी, कहीं भी पी सकता है। ज्यादातर लोग पर्यटन पर निर्भर हैं। सिक्किम के चार जिलों में से गंगटोक पूर्वी जिला है। माल रोड यानी एमजी रोड पर महात्मा गांधी की बड़ी सी प्रतिमा है। जिसके लिए पत्थरों को बड़ा सा चौक बनाया गया है। इस रोड के दोनों तरफ सुसज्जित दुकानें और कई नई-पुरानी जगमगाती इमारतें हैं। बीच में डिवाइडर पर हरियाली बैठने के लिये बैंच और हर पचास मीटर पर डस्टबिन रखे दिखते हैं।

माल रोड के शुरुआत में ही टूरिस्ट इनफार्मेशन सेंटर है जहां से घूमने के लिए जानकारी जुटाई जा सकती है। इसी रोड पर दो वेज रेस्टॉरेंट हैं जो शाकाहारी लोगो के लिए बड़ी राहत हैं। एमजी रोड के लगभग आखिर में थोड़ा नीचे उतर कर लाल बाजार है। जगह की कमी के बावजूद दुकानें और उनके आगे के फुटपाथ सामानों से भरे दिखते हैं। यहां पॉलीथिन बैग पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। यहां हर सामान कागज के लिफाफे में ही दिया जाता है। आइसक्रीम, चॉकलेट अगर आप वहीं खोलते हैं, तो दुकानदार खुद आपसे उसका रैपर लेकर कूड़ेदान में डाल देता है। सिक्किम में हर नागरिक अपने शहर, अपने राच्य की साफ-सफाई के लिये खुद को जिम्मेदार मानता है यह इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।

रात के आठ बजते-बजते यह साफ-सुथरा बाजार बंद होने लगता है। जागरुक नागरिकों की राजधानी गंगटोक में एक दिन के स्थानीय टूर में सात या ग्यारह प्वाइंट घुमाये जाते हैं। इनमें व्यू प्वाइंट गणेश टोंक मंदिर और कुछ वाटर फॉल हैं। एमजी रोड के आसपास होटल काफी महंगे हैं पर जैसे-जैसे शहर से दूर होते जाएंगे, कम किराये में भी ठहरने की अच्छी जगह मिल जाएगी। टैक्सी हालांकि थोड़ी महंगी लगती हैं पर जिस तरह की चढ़ाई और घुमावदार सड़कों पर चलती हैं उतना पैदल चलना भी आसान नहीं है। नाथुला पास भारत चाइना बॉर्डर पूर्व सिक्किम गंगटोक जिले में गंगटोक से 80 किलो मीटर दूर लगभग 14740 फीट की ऊंचाई पर है। यहां जाने के लिये शेयर्ड और प्राइवेट दोनों तरह की टैक्सी मिलती है। लगभग हर होटल में मौजूद टूरिस्ट एजेंसी के एजेंट इन्हें बुक करते हैं। नाथुला पास जाने के लिए पहले परमिट बनवाना पड़ता है। इसके लिए बुकिंग के साथ ही दो फोटो और पहचान पत्र की एक कॉपी देना होती है। 

पहाड़ों और खाइयों का सफर शहरी सीमा पार करते ही गाड़ी खुले पहाड़ी रास्ते पर बढ़ चलती है। एक ओर आसमान में फक्र से सिर उठाये ऊंचे पहाड़, तो दूसरी ओर अपनी विनम्रता की मिसाल देती गहरी खाईयां। ऊंचाई से गिरते पहाड़ी झरने अपनी ओर ललचाते हैं। जैसे-जैसे ऊपर बढ़ते हैं पानी की बोतल और खाने-पीने का सामान महंगा होता जाता है। सड़क किनारे जो झरने बहुत पास दिखते हैं उन तक पहुंचना आसान नहीं है। स्थानीय लोग इन झरनों के आसपास सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं क्योंकि यही उनके लिए पानी का स्त्रोत हैं। पूरे सिक्किम में पेड टॉयलेट हर जगह हैं। उसके अलावा कहीं गाड़ी रोकने से ड्राइवर मना कर देते हैं। अपने टूरिस्ट की बात के ऊपर अपने प्रदेश की साफ-सफाई को तरजीह देना बहुत बड़ी बात हैं। 

 

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