यहां ‘वानर सेना’ ने सीटी बजाकर रोकी खुले में शौच करने की आदत
एजेंसी/ छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद प्रभावित जिले राजानंदगांव के ढोबनी गांव में बच्चों की ‘वानर सेना’ खुले में शौच के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं. 11 साल की आरती रावते सुबह चार बजे उठती है. पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि यह देखने के लिए गांव का कौन व्यक्ति खुले में शौच करने जा रहा है. वह ऐसे लोगों को खुले में शौच करने से रोकती है.
यूनिसेफ के ‘टीम स्वच्छ’ का हिस्सा है आरती
आरती यूनिसेफ के अभियान ‘टीम स्वच्छ’ और एक एनजीओ ‘जन कल्याण संस्थान’ का हिस्सा है. उसका गांव ‘खुले में शौच से मुक्त’ घोषित किया जा चुका है. आरती ने बताया, ‘मैं कुछ अन्य बच्चों के साथ खुले में शौच करने के लिए जाने वालों पर नजर रखती हूं. जब हम किसी को ऐसा करने के लिए जाते देखते हैं, तो सीटी बजाकर उसे ऐसा करने से रोकते हैं.’
खुले में शौच पर लगेगा 500 रुपये का जुर्माना
आरती के गांव के हर घर में दो साल पहले ही शौचालय बन चुके हैं, लेकिन इससे खुले में शौच करने की समस्या खत्म नहीं हुई है. उसके मुताबिक, ग्रामीणों को खुले में शौच करने की आदत को बदलने के लिए तैयार करना बहुत मुश्किल है. ऐसे में उन्हें रोकने के लिए जिले के प्रत्येक गांव में एक निगरानी समिति बनाई गई है, जिसमें बच्चे, गांव के प्रधान सहित समुदाय के अन्य सदस्य हैं. ये सभी लोगों को खुले में शौच करने से रोकते हैं. खुले में शौच करने वालों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
ऐसे हुई शुरुआत
यूनिसेफ ने दिल्ली के एक एनजीओ की मदद से 2013 में छत्तीसगढ़ के राजानंद गांव में लोगों को खुले में शौच करने से रोकने का अभियान शुरू किया था. इसके बाद स्थानीय एनजीओ भी इस अभियान से जुड़ गए. अब खुले में शौच करने के खिलाफ अभियान सुरगुजा, धमतरी और दांतेवाड़ा सहित छत्तीसगढ़ के कई जिलों में फैल रहा है. अब तक राजानंदगांव जिले के 300 गांव खुले में शौच की समस्या से मुक्त घोषित हो चुके हैं.
बड़ी बहन के ससुराल में भी बनवा रही शौचालय
आरती कहती है, ‘मैं स्वच्छता और निजी सफाई के महत्व को समझती हूं. मेरी बड़ी बहन की शादी पास के गांव कुरुभाट में हुई है. उसके ससुराल में शौचालय नहीं है. मैंने उसके सास-ससुर को शौचालय बनवाने और खुले में शौच नहीं करने की अपील की है. अब वे मेरी और मेरी बहन की इच्छा मानकर शौचालय के निर्माण के लिए तैयार हो गए हैं.’
डॉक्टर बनना चाहती है आरती
आरती को अंग्रेजी अच्छी लगती है और वह भविष्य में डॉक्टर बनना चाहती है. वह कहती है, ‘मैं इस अविकसित क्षेत्र में लोगों की सेवा करना चाहती हूं. साथ ही स्वच्छता और स्वच्छ जीवन के बारे में लोगों को शिक्षित करना चाहती हूं.’
क्या कहते हैं आंकड़े
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) द्वारा जारी की गई स्वच्छता स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक, देश में आधे से अधिक ग्रामीण आबादी अभी भी खुले में शौच करती है. सर्वेक्षण के मुताबिक, अनुमानित रूप से ग्रामीण भारत में 52.1 फीसदी लोग खुले में शौच करते हैं, जबकि शहरी भारत में यह संख्या 7.5 फीसदी है.