यहां हर महीने देवी लक्ष्मी के चरण स्पर्श करने खुद आते हैं सूर्यदेव
मुंबई से लगभग 400 किमी. दूर कोल्हापुर महाराष्ट्र का एक जिला है, जिसमे धन की देवी लक्ष्मी का एक सुंदर मंदिर है| यहां पर देवी लक्ष्मी को अम्बा जी (Mahalakshmi Temple Kolhapur) के नाम पुकारा जाता है।
कोल्हापुर का इतिहास धर्म से जुडा हुआ है और इसी वजह से ये जगह धर्म की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां पर देवी लक्ष्मी की आराधना और कोई नहीं बल्कि सूर्य की किरणें करती है।
मंदिर का इतिहास
कहा जाता है कि इस महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में चालुक्य शासक कर्णदेव ने 7वीं शताब्दी में करवाया था। इसके बाद शिलहार यादव ने इसे9वीं शताब्दी में और आगे बढाया। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में देवी महालक्ष्मी् की लगभग 40 किलो की प्रतिमा स्थापित है, जिसकी लम्बाई लगभग चार फीट की है। यह मंदिर 27000 वर्गफ़ीट में फैला हुआ है, जिसकी ऊंचाई 35 से 45 फीट तक की है। कहा जाता है कि यहां की लक्ष्मी प्रतिमा लगभग 7000 साल पुरानी है|
सूर्य की किरणें करती हैं लक्ष्मी की आराधना
यह मंदिर सुंदरता के साथ-साथ अपनी अनोखी पंरपरा के लिए भी मशहूर है। इस मंदिर में मां की मूर्ति पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं, जिसे किरण उत्सव या किरणों का त्योहार कहा जाता है। जो कि अपने आप में ही बहुत खास है। 31 जनवरी से 9 नवम्बर तक सूर्य की किरणें मां के चरणों को स्पर्श करती हैं, 1 फरवरी से 10 नवम्बर तक किरणें मां की मूर्ति पर पैरों से लेकर छाती तक आती हैं और फिर 2 फरवरी से 11 नवम्बर तक किरणें पैर से लेकर मां के पूरे शरीर को स्पर्श करती हैं।
पश्चिम की ओर है देवी का मुंह
सामान्यतः देवी लक्ष्मी के मंदिरों में उनका मुंह उत्तर या पूर्व दिशा में रहता है, लेकिन यहां का मंदिर थोड़ा अलग है। यहां के मंदिर में देवी लक्ष्मी की मूर्ति का मुंह पश्चिम दिशा की ओर है, जो की बहुत ही कं मंदिरों में पाया जाता है।
कब जाएं
इस मंदिर की यात्रा के लिए साल का कोई भी समय चुना जा सकता है, लेकिन नए साल पर, नवरात्र और दिवाली पर यहां विशेष धूम रहती है।