यह सुहागरात के समय पूरा गाँव बैठा रहता है कमरे के बाहर, वजह है चौंका देने वाली
बाकी देशों के मुकाबले भारत देश में सबसे अधिक रीति रिवाज़ और परम्पराएं पाई जाती हैं. इनमे कुछ परम्पराएं इतनी अजीबो गरीब होती हैं, जिन पर विश्वास करना मुश्किल है. आपको ये जानकार हैरानी होगी कि भले ही हमारा देश उन्नति और विकास के नए रास्ते खोज रहा है. मगर, फिर भी देश में कईं ऐसी नीच परम्पराएं हैं, जिन्होंने भारतीय समाज पर सवाल उठा रखें हैं. इन सब रीति रिवाजों और रस्मों का खामियाजा सबसे अधिक महिलायों और लड़कियों को भुगतना पड़ता है. जबकि, मर्द इनसे आसानी से बच निकलते हैं.
जहाँ, आज के इस फ़ास्ट फॉरवर्ड समय में शादी के बाद पति पत्नी का हनीमून पर जाना एक रस्म बन चुकी है, वहीँ दूसरी ओर भारत में कुछ ऐसी जगहें भी हैं, जहाँ आज भी हनीमून को पाप समझा जाता है. इसके इलावा आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसी अजीबो गरीब परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे पढ़ कर आपके होश उड़ना तय है. भारत में शादी की पहली रात को काफी अहम रात माना जाता है. बहुत सारे शहरों में शादी की पहली रात को नए कपल को अकेले समय बिताने के लिए छोड़ दिया जाता है. मगर, यहाँ बहुत सारी ऐसी जगहें भी हैं, जहाँ दूल्हा और दुल्हन को अपनी सुहागरात सबके सामने मनानी पडती है. आपको ये पढने में थोडा अजीब लग रहा होगा लेकिन ये बिलकुल सच है. दरअसल, भारत में कंजरभाट नामक एक समुदाय है. जहाँ शादी की पहली रात को लड़का और लड़की को अकेला छोड़ने की जगह पूरा गाँव उनके कमरे के पास खड़ा रहता है. दरअसल, वह लोग इस दौरान लड़की की कौमार्य का निरिक्षण करते हैं. गौरतलब है कि यहाँ इतने पढ़े लिखे लोग होने के बावजूद भी आज तक इस परंपरा को निभाया जा रहा है. अगर लड़की गाँव वालों की नज़र में वर्जिन साबित हो जाये तो ठीक वरना उसके साथ कुत्तों से भी बुरा सलूक किया जाता है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि कंजरभाट समुदाय के लोग भारत में तकरीबन हर जगह मौजूद है. इस नई पीढ़ी में जन्म लेने वाले बहुत सारे कंजरभाट लोग इस कुरीति का विरोध करते हैं. लेकिन, कोई भी इस परंपरा को रोक पाने में कामयाब नहीं होता. यहाँ का रिवाज़ है कि शादी की पहली रात दूल्हा और दुल्हन को एक होटल का कमरा बुक करके दिया जाता है और साथ ही उन्हें संबंध बनाने के लिए सफ़ेद चादर दी जाती है. इस दौरान समुदाय के मुखिया पंचायत लगा कर कमरे के बाहर ही मौजूद रहते हैं.
इस कुरीति में दुल्हन के साथ शारीरक संबंध बनाने से पहले उसको सब गहने और कपडे उतारने को कहा जाता है. क्यूंकि, चादर पर संबंध बनाने के दौरान लड़की का चादर पर खून लगना ही टेस्ट में पास करवाता है. ऐसे मे गहनों से चोट के कारण उस चादर पर खून ना गिर जाए इसलिए उसको सभी वस्त्र और जेवरात उतारने की सलाह दी जाती है. इसी बीच रात को दूल्हा उठ कर कमरे से बहर खड़ी पंचायत को वह सफ़ेद चादर सौंप देता है. अगर पंचायत को उस चादर में खून के धब्बे मिल जाए तो वह लड़की को गाँव की बहु करार देते हैं और अगर उन्हें वहां खून नहीं मिलता तो लड़की को बुरी तरह से मारा पीटा जाता है और उसको चरित्रहीन साबित कर दिया जाता है. इस समुदाय में लड़कियों को ही ये टेस्ट देना पड़ता है लड़कों को नहीं.