उत्तर प्रदेशलखनऊ

यात्रा के लिए कितना सुरक्षित नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे

उत्तर प्रदेश में जब नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे तैयार किया गया था तब सुविधाओं और सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए गए थे. रास्ते में जगह-जगह CCTV कैमरे लगाए गए थे पुलिस बूथ बनाए गए थे, दूर से एक्सप्रेस वे की निगरानी करने के लिए ऊंचे-ऊंचे पुलिस वॉच टॉवर बनाए गए थे. किसी आपात स्थिति में मदद मांगने के लिए फ्री हेल्पलाइन भी जारी की गई थी. लेकिन आज की तारीख में जब एक्सप्रेस वे पर लाखों लोग सफर करते हैं तो यह एक्सप्रेस वे अब कितना सुरक्षित है इसकी पड़ताल ‘आजतक’ की टीम ने की है.

स्पीड की नो-लिमिट!

नोएडा एक्सप्रेसवे पर कुछ दूरी पर CCTV कैमरे लगे हुए जरूर नजर आएंगे लेकिन क्या वाकई इन सीसीटीवी कैमरों से कोई निगरानी कर रहा होता है. पहले बताया गया था कि सीसीटीवी कैमरे से अगर कोई एक्सप्रेस-वे पर नियमों का उल्लंघन करेगा तो उसका चालान किया जाएगा लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ. कई लोगों को ट्रैफिक नियम तोड़ते देखा, टू व्हीलर्स को बिना हेल्मेट से लेकर, ओवर स्पीडिंग करते गाडियां देखी गईं. पूरे एक्सप्रेस वे पर कहीं भी स्पीड चेक करने वाली पुलिस की गाड़ी नजर नहीं आई. बीते दिनों एक्सप्रेस वे पर कुछ लोग घोड़े को दौड़ाते तक दिखे थे, सीसीटीवी लगे होने के बावजूद अबतक पुलिस किसी की भी पहचान नहीं कर पाई है.

नो स्टॉपिंग सिर्फ बोर्ड पर

एक्सप्रेस-वे पर गाडियां रोकना मना है क्योंकि ज्यादातर हादसे सड़क किनारे खड़ी गाडियों से ही होते हैं. जब लोग तेज रफ्तार से आते हैं और अचानक सामने खड़ी गाडिय़ों को देखकर संभल नहीं पाते और हादसा हो जाता है. एक्सप्रेस वे पर कई जगह लोगों ने सड़क किनारे अपनी गाड़ियां रोक रखी थीं और गाड़ियों में खाना खाते तक दिखे.

वॉच टावर दिखा ही नहीं

 

अगर कोई ट्रैफिक तोड़ेगा तो उसकी निगरानी कौन करेगा पहले बताया गया था कि एक्सप्रेस वे पर हर कुछ दूरी पर पुलिस पेट्रोलिंग मिलेगी और ऊंचे-ऊंचे वॉच टावर मिलेंगे लेकिन एक्सप्रेस वे के दो चक्कर काटने के बावजूद कुछ भी नहीं दिखा. कहीं-कहीं वॉच टावर तो देखें लेकिन उनपर भी कोई पुलिसकर्मी मौजूद नजर नहीं आया.

बीच रोड पर आवाजाही

रोड पार करने वाली कई लोग जान जोखिम में डालकर सड़क पार करते हुए देखे गए. महिलाएं हो या पुरुष दोनों दौड़कर सड़क पार करते हुए दिखे, जबकि रोड में चलने वाले वाहनों की स्पीड इतनी होती है कि अचानक सामने आए किसी पैदल को बचाना बहुत मुश्किल होगा. एक्सप्रेस वे पर ज्यादातर सड़क पार करने वाले स्थानीय लोग हैं जो आसपास के गांवों में रहते हैं. साथ ही वह लोग जो वहां से बसों में सफर कर अपने गंतव्य तक जाते हैं.

हेल्पलेस हेल्पलाइन!

एक्सप्रेस वे पर हादसे होते रहते हैं लेकिन इस हालात में आखिर मदद किससे मांगी जाए. यहां पुलिस पीसीआर गस्त करती नहीं दिखी और इमरजेंसी फोन बूथ जरूर पर भी ज्यादातर फोन खराब हैं. जो फोन बूथ सही भी है वहां नेटवर्क की समस्या है जिसकी वजह से फोन कनेक्ट होना मुश्किल हो जाता है. इन सब बातों से एक बात साफ है कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर आप की निगरानी करने वाला कोई नहीं है. यहां से गुजरना जान जोखिम में डालने के बराबर होता है.

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