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यादें 2015- खेलों में ये रहे साल के चर्चित विवाद

indian-football-1451452514वर्ष 2015 में भारत ने जहां एक तरफ सानिया मिर्जा से लेकर साइना नेहवाल और विराट कोहली की धमाकेदार कप्तानी से लेकर हॉकी टीम की एफआईएच में पदक सफलता तक कई गौरवान्वित कर देने वाले पलों को देखा। इसके साथ ही दूसरी तरफ कई ऐसे विवाद भी सामने आए जिन्होंने सभी का ध्यान भटकाया।

चाहे बाक्सिंग इंडिया के निलंबन का मुद्दा हो या भारतीय हॉकी कोच पॉल वान एस को बाहर का रास्ता दिखाया जाना , पैरालंपिक खिलाड़ियों के साथ खराब रवैये के बाद पैरालंपिक समिति का निलंबन हो या फिर भारोत्तलोकों के डोपिंग में आरोपी पाए जाने का मुद्दा। कई ऐसे मौके आए जब खेलों के प्रशासकों से लेकर खिलाड़ियों तक ने शर्मसार भी किया और विवाद भी खड़े किए जिन्हें भुलाना काफी मुश्किल होगा।

आइए खेलों में साल भर के ऐसे विवादों पर नजर डालते हैं–

बाक्सिंग इंडिया का निलंबन-

वर्ष के कई बड़े   विवादों में बाक्सिंग इंडिया (बीआई) का निलंबन अहम मुद्दा रहा जिसने देश के मुक्केबाजों के भविष्य को ही मुश्किल में डाल दिया। खेल संघों में चल रहे आपसी मतभेदों का यह भी एक बड़ा नमूना था जिसके कारण अपने अस्तित्व के मात्र एक वर्ष के भीतर ही बाक्सिंग इंडिया को निलंबित कर दिया गया। मुक्केबाजी की राज्य की ईकाइयों के विरोध के कारण बीआई के अध्यक्ष संदीप जजोदिया तथा सचिव जय कोवाली को अपना पद छोडऩा पड़ा और अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ(आईबा) ने बीआई पर अस्थायी निलंबन लगा दिया और नई संस्था के गठन के निर्देश दिए।

भारतीय हॉकी कोच वान का इस्तीफा-

हॉकी में भी ड्रामा कुछ कम नहीं रहा और मैदान के बाहर खड़े हुए विवादों में राष्ट्रीय कोच पॉल वान एस को छह महीने के भीतर ही अपना पद गंवाना पड़ गया। राष्ट्रीय कोच का जाना इसलिए भी हैरान करने वाला है कि डच कोच के मागर्दशन में टीम का प्रदर्शन काबिलेतारीफ रहा। बेल्जियम के एंटवर्प में हॉकी वर्ल्ड लीग सेमीफाइनल के बाद वान और हाकी इंडिया(एचआई) के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा के बीच विवाद खुलकर सामने आ गया।

राष्ट्रीय कोच पॉल वान का आरोप-  राष्ट्रीय कोच पॉल वान एस ने  स्वदेश लौटने के बाद मीडिया को कहा कि उन्हें बत्रा से विवाद के चलते पद से हटाया गया था। इस पूरे विवाद के बाद से अगले वर्ष रियो ओलंपिक की तैयारियों में जुटी राष्ट्रीय हॉकी टीम के पास अब तक मुख्य कोच नहीं है और वह हाई परफोर्मेंस निदेशक रोलैंट ओल्टमैंस के मार्गदर्शन में ही तैयारियां कर रही हैं।

मिडफील्डर गुरबाज सिंह का निलंबन-

गुरबाज सिंह को हॉकी इंडिया ने अनुशासनहीनता और मैदान पर खेल भावना का अनुसरण नहीं करने के लिए निलंबित कर दिया था। नौ महीने के निलंबन के खिलाफ गुरबाज ने अपील भी की जिसे खारिज कर दिया गया और इसके बाद खिलाड़ी ने हॉकी इंडिया को अदालत में घसीट दिया। हालांकि उनपर इस निलंबन को अदालत ने हटा दिया लेकिन इस पूरे विवाद से वह हाकी इंडिया लीग(एचआईएल) की नीलामी में हिस्सा नहीं ले सके जबकि राष्ट्रीय टीम में भी उन्हें वापसी का मौका नहीं मिला।

भारतीय फुटबॉल टीम से निराशा- भले ही हॉकी इंडिया विवादों में घिरा रहा लेकिन पुरूष और महिला हॉकी टीमों ने अपने प्रदर्शन को प्रभावित नहीं होने दिया। लेकिन इसके उलट भारतीय फुटबॉल टीम ने पूरे वर्ष अपने प्रदर्शन से निराश किया और स्टीफन कोंस्टेनटाइन के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय टीम ने पांच अंतरराष्ट्रीय मैच हारे जिसमें एक छोटे से देश गुआम से मिली करारी हार ने उसे सबसे अधिक शर्मसार किया। टीम की यह हालत तब है जब देश में इंडियन सुपर लीग(आईएसएल) एक नए मुकाम पर पहुंच गया है और देसी खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मिल रहा है।

विदेशी खिलाड़ी इलानो ब्लूमर को जेल- वर्ष के अंत तक आते आते इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) की सफलता भी विवाद के कारण धूमिल हो गई। टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में चेन्नईयिन एफसी और एफसी गोवा के बीच मैदान पर ही बड़ा विवाद खड़ा हो गया जिससे चेन्नई के विदेशी खिलाड़ी इलानो ब्लूमर को जेल तक जाना पड़ गया। पुलिस ने ब्राजील के मिडफील्डर इलानो को गोवा के सह मालिक के साथ मारपीट के आरोप में गिरफ्तार किया जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस लीग की छवि को भारी नुकसान पहुंचाया।

पैरा एथलीटों के लिए बदइंतजामी- गाजियाबाद में राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के दौरान खिलाड़ियों को गंदे और खराब कमरों में ठहरने को कहा गया। इस चैंपियनशिप का आयोजन भारतीय पैरालम्पिक समिति की उत्तर प्रदेश इकाई ने किया था।

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