यूपीः ब्लैक लिस्टेड कंपनी को दिया 600 करोड़ का ठेका, बड़ा घोटाला
ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन ऑफ तेलंगाना (टीसीटीएल) ने यूपी ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन को पत्र भेजकर कंपनी के ब्लैक लिस्टेड होने की जानकारी भी दे दी थी। इसके बावजूद मध्यांचल निगम ने कंपनी के अफसरों के साथ साठगांठ एवं धोखाधड़ी कर 78 करोड़ रुपये का भुगतान भी करवा दिया।
कंपनी बिना कोई काम किए पूरी रकम लेकर चंपत हो गई। घोटाले की पोल खुली तो मध्यांचल निगम वैरिगेट कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर मामले की लीपापोती में जुट गया है।
ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी को ठेका देने में इंजीनियरों ने करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे किए हैं। निगम ने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) के तहत ठेका दिया था।
इसकी जानकारी प्रबंध निदेशक को दी गई तो उन्होंने दो मुख्य अभियंता डीके गर्ग एवं राजकुमार अग्रवाल की कमेटी से जांच कराई। इस जांच में धोखाधड़ी एवं विभागीय सांठगांठ का खुलासा हुआ। फिलहाल साइड पर पड़े मैटेरियल को कब्जे में लेकर कीमत का आकलन किया जा रहा है।
दो चीफ इंजीनियर समेत दस फंसे
कंपनी को फर्जी बैंक गारंटी से ठेका दिलाने एवं भुगतान कराने में दो चीफ इंजीनियर समेत 10 इंजीनियर फंसे हैं। इनमें एक चीफ इंजीनियर एनके अग्रवाल रिटायर हो चुके और दूसरे पावर कारपोरेशन में बेहद अहम पद पर काबिज हैं। पेमेंट नोट शीट पर तत्कालीन चीफ इंजीनियर एनके अग्रवाल, अधीक्षण अभियंता डीके सक्सेना एवं अधिशासी अभियंता एससी जोशी के हस्ताक्षर हैं।आरजीजीवीवाई के एक इंजीनियर ने फर्जी बैंक गारंटी एवं भुगतान देने की धोखाधड़ी के उजागर होने पर तहरीर देकर पुलिस केस दर्ज करने का अनुरोध किया। सूत्र बताते कि पुलिस ने केस दर्ज करने के बजाय इस तहरीर को ही दबा दिया।
जांच में आरजीजीवीवाई के अधीक्षण अभियंता डीके सक्सेना एवं अधिशासी अभियंता एससी जोशी की कारगुजारी पाई गई। जोशी को 26 दिसंबर को निलंबित कर दिया गया। सक्सेना को निलंबित करने के लिए पावर कॉर्पोरेशन को सिफारिश भेजी गई है। वैरिगेट कंपनी को निगम में ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है।