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यूपीएससी मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक होगी- सरकार

upscनई दिल्ली। यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में सी-सैट के मुद्दे पर चल रहे हंगामे के बीच सरकार ने आज घोषणा की कि इस मुद्दे का हल निकालने के लिए वह सर्वदलीय बैठक बुलाएगी। साथ ही उसने सुझाव दिया कि यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संपन्न होने देना चाहिए। इस मुद्दे पर सरकार के जवाब से असंतुष्ट सपा, बसपा, माकपा और भाकपा ने आज राज्यसभा में सदन से वाकआउट किया। उच्च सदन में शून्यकाल में यह मुद्दा उठने पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह एक बहुत ही संवेदनशील विषय है और सरकार इस मामले में संसद में तथा संसद के बाहर लोगों की संवेदनाओं से अवगत है। उन्होंने कहा कि इसी संवेदनशीलता को ध्यान में रख कर सरकार ने गत दिनों दो फैसलों की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि सरकार को यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा को लेकर तमाम सुझाव मिले हैं। उन्होंने कहा कि हमारी नीति है कि सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान होना चाहिए। जावड़ेकर ने कहा कि सी-सैट के 2011 से शुरू होने के साथ ही इसे लेकर विवाद शुरू हो गया था। उन्होंने कहा कि संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) को लेकर कभी संसद में इतनी बहस नहीं हुई। उन्होंने माना कि यूपीएससी की परीक्षाओं में सुधार की जरूरत है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार सभी दलों के साथ मिल कर इन मुद्दों पर बातचीत करने और इनका हल निकालने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाएगी। जावड़ेकर ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर छात्रों के आंदोलन में जिन लड़कों को गिरफ्तार किया गया है उनकी रिहाई के बारे में सदस्यों की भावनाओं से वह गृह मंत्री को अवगत कराएंगे। उन्होंने कहा कि इस समय 9 लाख छात्र सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इनमें से कई हमारे रिश्तेदार, परिचित, मित्र भी हैं। यह परीक्षा 24 अगस्त को होनी है। हमें इस मुद्दे पर अभी विवाद को और आगे न बढ़ाते हुए उन्हें परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन की शुभकामनाएं देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें इन छात्रों को आश्वस्त करना चाहिए कि इस मामले में कोई अच्छा रास्ता अवश्य निकलेगा। जावड़ेकर के बयान के बाद माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार इस मामले को टालने की नीति अपना रही है। येचुरी, भाकपा नेता डी राजा, सपा नेता रामगोपाल यादव और बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने उनके जवाब से असंतोष जताते हुए सदन से अपने दलों के सदस्यों के साथ वाकआउट की घोषणा की। इससे पूर्व कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने केंद्र पर इस मुद्दे का समुचित समाधान नहीं निकालने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी अंदरूनी तथा देश की अन्य समस्याओं से ध्यान बंटाने के लिए जानबूझकर इस मुद्दे को उलझा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को छात्रों से बात करनी चाहिए। बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा ने इस समस्या के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकार और मौजूदा भाजपा सरकार को बराबर का जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इस मुद्दे का जल्द हल निकाला जाना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन ने इस मुद्दे पर सरकार के फैसले को आनन फानन में किया गया निर्णय करार दिया। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा क्षेत्रीय भाषाओं में भी होनी चाहिए। जदयू के शरद यादव, अन्नाद्रमुक के वी मैत्रेयन, माकपा के पी राजीव तथा टीआरएस के केशव राव ने भी इन परीक्षाओं में भारतीय भाषाओं को बराबरी का महत्व देने की मांग की। सपा के रामगोपाल यादव और द्रमुक की कनिमोझी ने कहा कि इन परीक्षाओं में ग्रामीण बच्चों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। राकांपा के डीपी त्रिपाठी ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षक संघ भी इस मुद्दे पर छात्रों का साथ दे रहे हैं। भाकपा के डी राजा ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे की संवेदनशीलता समझनी चाहिए क्योंकि यह छात्रों के भविष्य से जुड़ा मुद्दा है। भाजपा के वीपी सिंह बडनौर और शिवसेना के अनिल देसाई ने जहां कहा कि भाषा के आधार पर राजनीति नहीं होनी चाहिए वहीं कांग्रेस के येसुदास सीलम ने कहा कि सरकार के गलत निर्णय के कारण यह मुद्दा अब हिन्दी अंग्रेजी की लड़ाई में तब्दील हो गया है। भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी ने इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की। वहीं कांग्रेस के राजीव शुक्ला ने कहा कि हमें सिविल सेवा परीक्षा में ऐसे मानक रखने चाहिए जिससे बेहतरीन नौकरशाह देश को मिल सकें।

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