यूपी के कायाकल्प की तैयारी में पेट्रोलियम मंत्रालय
उत्तर प्रदेश में अब एलपीजी कनेक्शनों की संख्या 1.14 करोड़ से बढ़कर 2.88 करोड़ हो गई है। धर्मेन्द्र प्रधान का मानना है कि गैस वितरक यदि पूरी मेहनत, लगन और ईमानदारी से अपने काम को अंजाम दें और दूर-दूर तक लोगों को एलपीजी उपलब्ध कराने की दिशा में मदद करें, तो दृश्य ही बदल जायेगा। इसी सोच के तहत बीते तीन सालों में देश भर में एक हजार नये एलपीजी वितरक जोड़े गए हैं। अब यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 25 एलपीजी बॉटलिंग प्लांट हैं। 04-05 नये बॉटलिंग प्लांट भी लग रहे हैं। लोगों की सुविधा के लिए गुजरात के काण्डला से गोरखपुर तक एलपीजी पाइप लाइन डाली जा रही है। जिससे उत्तर प्रदेश में स्थापित एलपीजी के सभी बॉटलिंग प्लांट पाइप लाइन से जोड़े जाएंगे। साथ ही, मथुरा रिफाइनरी का विस्तारीकरण भी किया जा रहा है।
देश के सबसे बड़े प्रदेश उप्र में भारत सरकार का पेट्रोलियम मंत्रालय खासा मेहरबान दिख रहा है। सूबे से ही मुफ्त गैस कनेक्शन यानि उज्ज्वला योजना की भी शुरूआत मंत्रालय ने बीते साल एक मई को बलिया से की थी। इस दौरान स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मौजूद थे। यह वह घड़ी थी, जब खांटी ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी मौजूद थे। वहीं अब मंत्रालय की प्रेरणा से जहां गैस उपभोक्ताओं की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है वहीं उप्र में बड़े पैमाने पर निवेश और सुविधायें भी सुलभ हो रही हैं। इसी के तहत इण्डियन आयल कारपोरेशन यूपी में करीब 20 हजार करोड़ रूपए का निवेश करने जा रहा है। कमोबेश यही वजह है कि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी यह कहे बिना नहीं रह पाये कि सचमुच अच्छे दिन आ गए हैं।
दरअसल केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान स्वीकार करते हैं कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में सरकार के सत्ता में आने से पहले एलपीजी कनेक्शन लेना बहुत कठिन था। करीब एक साल पहले एक मई को बलिया से लागू की गई उज्ज्वला योजना से अब तस्वीर बदल चुकी है। इस योजना का सबसे ज्यादा लाभ गांव की गरीब परिवारों की महिलाओं को हुआ है। उधर, गुजरात में देश का तीन करोड़वां कनेक्शन भी वहां के मुख्यमंत्री ने वितरित किया। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में अब एलपीजी कनेक्शनों की संख्या 1.14 करोड़ से बढ़कर 2.88 करोड़ हो गई है। धर्मेन्द्र प्रधान का मानना है कि गैस वितरक यदि पूरी मेहनत, लगन और ईमानदारी से अपने काम को अंजाम दें और दूर-दूर तक लोगों को एलपीजी उपलब्ध कराने की दिशा में मदद करें, तो दृश्य ही बदल जायेगा। इसी सोच के तहत बीते तीन सालों में देश भर में एक हजार नये एलपीजी वितरक जोड़े गए हैं। अब यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 25 एलपीजी बॉटलिंग प्लांट हैं। 04-05 नये बॉटलिंग प्लांट भी लग रहे हैं। लोगों की सुविधा के लिए गुजरात के काण्डला से गोरखपुर तक एलपीजी पाइप लाइन डाली जा रही है। जिससे उत्तर प्रदेश में स्थापित एलपीजी के सभी बॉटलिंग प्लांट पाइप लाइन से जोड़े जाएंगे। साथ ही, मथुरा रिफाइनरी का विस्तारीकरण भी किया जा रहा है। मंत्रालय ने एक और क्रांतिकारी निर्णय लेते हुए पूरे भारत में एक लाख एलपीजी पंचायत स्थापित करने की ठानी है।
वहीं उज्ज्वला योजना के तहत देश भर में पांच करोड़ गरीब परिवारों को नि:शुल्क एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिसके तहत अब तक करीब तीन करोड़ गरीब परिवारों की महिलाओं को इसके तहत लाभान्वित किया जा चुका है। अकेले उप्र में 1.25 करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 62 लाख गरीब महिलाओं को फायदा पहुंचाया जा चुका है। इस उपलब्धि के लिए उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पेट्रोलियम मंत्री को बधाई देने से स्वयं को रोक नहीं पाये। मुख्यमंत्री का साफ कहना है कि पेट्रोलियम मंत्री के नेतृत्व इस योजना को बेहतरीन ढंग से लागू किया गया है। उनके नेतृत्व में गरीबों को कम लागत पर एलपीजी गैस कनेक्शन देने की दिशा में तीन वर्ष पूर्व काम शुरू हुआ, जिसके तहत 1600 रुपए में गरीबों को एलपीजी कनेक्शन दिए गए। उधर, पेट्रोलियम मंत्रालय के अधीन क्रियाशील इण्डियन ऑयल कार्पोरेशन उप्र के बहुमुखी विकास के लिए करीब 20 हजार करोड़ रूपये की विभिन्न परियोजनायें जल्द स्थापित करने जा रही है। यह पूरी कार्ययोजना अगले दो से तीन वर्षों में अमलीजामा भी पहन लेगी। इण्डियन ऑयल कार्पोरेशन मिर्जापुर में 120 एकड़ में मार्डन ऑयल टर्मिनल स्थापित करने जा रही है। इसकी परियोजना लागत लगभग 650 करोड़ रुपए है जिससे बहुमुखी विकास होने के साथ-साथ रोजगार के अनेक अवसर सुलभ हो सकेंगे। इसके अलावा मथुरा रिफाइनरी में अवस्थापना विकास का कार्य भी होगा। जबकि कानपुर स्थित टीडब्ल्यू गैन्ट्री की रिमॉडलिंग भी कराये जाने का प्रस्ताव है जिस पर 32-27 करोड़ रुपये का निवेश होगा और यह इसी साल नवम्बर में पूरा हो जायेगा। इसी तरह कुशीनगर जिले में नये बॉटलिंग प्लान्ट की स्थापना किए जाने की तैयारी है। जिस पर 60-14 करोड़ रुपये का व्यय होगा। वहीं कानपुर-बरौनी तक ब्रान्च पाइपलाइन निर्मित कराये जाने का प्रस्ताव है जिस पर उत्तर प्रदेश में लगभग 75 करोड़ रूपये का व्यय संभावित है। इसके अतिरिक्त मथुरा-टूण्डला पाइपलाइन का लखनऊ सहित कानपुर तक विस्तारीकरण का कार्य प्रस्तावित है, जिस पर रुपये 638 करोड़ का व्यय अनुमानित है। काण्डला-गोरखपुर एलपीजी पाइपलाइन, जिसकी लम्बाई लगभग 2757 किलोमीटर है, के निर्माण पर 3500 करोड़ रूपये का व्यय होने जा रहा है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में इण्डियन ऑयल कार्पोरेशन 2जी इथेनॉल बायो-रिफाइनरी स्थापित करने जा रही है, जिस पर 800 करोड़ रूपये खर्च होंगे। इसकी दैनिक क्षमता 100 किलोलीटर होगी। इसके अतिरिक्त वाराणसी में ठोस अपशिष्ट से ईंधन बनाये जाने का एकीकृत संयन्त्र स्थापित किए जाने की भी योजना है। जिस पर रूपये 70 करोड़ का व्यय होगा। उधर, कई वर्षों से बन्द पड़ी गोरखपुर स्थित उर्वरक कारखाने को इण्डियन ऑयल कार्पोरेशन पुनर्जीवित करने की कवायद कर रहा है। जिस पर रूपये 06 हजार करोड़ खर्च होगा।