उत्तर प्रदेशराज्य

यूपी चुनावः बयानों की राजनीति और आग में घी डालती कोशिशें

दंगा आरोपी भाजपा विधायक सुरेश राणा के विवादित बयानों ने माहौल गर्मा दिया है। वहीं रालोद उम्मीदवार के पुराने भाषणों के वीडियो वायरल होने ने आग में घी का काम किया है।

लखनऊ। पशि्चमी यूपी में बयानों की राजनीति हो रही है और कोशिशें आग में घी डालने की है। इसलिए विवादित बोल मुद्दा हैं, समस्याएं और मुद्दे नदारद हैं। आजादी के बाद से अब तक यहां रामचंद्र सिंह को छोड़कर किसी को लगातार दोबार निर्वाचित होने का मौका नहीं मिला। भाजपा में प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश राणा के लिए लगातार दो बार विजेता बनने की चुनौती है।


प्रथम चरण के चुनाव में सहारनपुर से सटी थानाभवन की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि मुस्लिमों का गढ़ माने जाने वाले देवबंद का असर भी यहां दिखता है। गांव हसनपुर के सुरेशपाल एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। सुरेश का कहना है कि इस बार चुनावों में समस्याओं नहीं, सम्मान की लड़ाई हो रही है। कमोबेश यही बात सरकारी अस्पताल के पास फलों का ठेला लगा रहे दिलशाद भी कहते हैं। उन पर दंगों का दहशत का असर अब भी बाकी है।

यानी लोकसभा चुनाव के पहले के माहौल से अब तक कुछ खास नहीं बदला है। दंगा आरोपी भाजपा विधायक सुरेश राणा के विवादित बयानों ने माहौल गर्मा दिया है। वहीं रालोद उम्मीदवार के पुराने भाषणों के वीडियो वायरल होने ने आग में घी का काम किया है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर औपचारिकता जरूर निभाई है लेकिन सियासत की दिशा व दशा बदलने लगी है। समस्या और जन सरोकार से जुड़े मुद्दे किनारे लगने लगे हैं। थानाभवन में भाजपा का बड़ा दांव है वहीं रालोद भी जाट मुस्लिम समीकरण को जिंदा करना चाहता है। इस मुस्लिम बहुल वाली सीट पर बसपा अपने दलित- मुस्लिम गठजोड़ के सहारे अपना खाता खोलने की कोशिश में जुटी है।

प्रदूषण बना जी का जंजाल: इस क्षेत्र में अन्य बुनियादी समस्याओं के साथ कृष्णा नदी का गांव-गांव में बीमारियां फैला रहा प्रदूषित जल लोगों की मुसीबत का सबब है। सहारनपुर से शुरू होकर थानाभवन कि एक दर्जन से ज्यादा गांवों को जोड़ती कृष्णा नदी बागपत जिले के बरनावा में हिंडन नदी में जाकर मिलती है। नीर फाउंडेशन के संयोजक रमण कांत का कहना है कि कृष्णा नदी का पानी इस कदर जहरीला हो चुका है कि आसपास गांवों में भू जल को भी प्रभावित कर रहा है। रमण बताते हैं कि हैंडपंपों से प्रदूषित पानी निकलने लगा है और कई गांवों में फैली बीमारियों से मौतें हो रही है। कृष्णा नदी के प्रदूषण को लेकर स्थानीय ग्रामीण आंदोलन करते रहे हैं परंतु समाधान अभी तक नहंी मिला। कई दशक से समस्या बनी कृष्णा का प्रदूषण इस बार चुनाव में मुद्दा है। सपा उम्मीदवार डा. सुधीर पंवार पर्यावरणविद़ भी हैं जो कृष्णा को मुद्दा बनाए हुए है।
रेलवे स्टेशन न बनने का मलाल : क्षेत्रीय जनता को थानाभवन में रेलवे स्टेशन नहीं बनने का बेहद मलाल है। सहारनपुर जाने के लिए बस की इंतजार में खड़े छात्र विवेक राणा बताते हैं कि थानाभवन के रेलवे हाल्ट को स्टेशन में तब्दील करने को जनता संघर्ष करती रही है। अधिकारी और नेताओं से आश्वासन जरूर मिलते रहे परंतु समाधान के नाम पर वही ढाक के तीन पात है। गन्ना उत्पादक किसानों की भुगतान की समस्या बढ़ी है तो सब्जी उत्पादकों को भी अपनी उपज बाहर न भेज पाने का मलाल है। रामकिशन का कहना है कि स्टेशन बने तो सब्जी को दिल्ली तक आसानी से बेचा जा सकता है।
जातियों के उलझाव, धुव्रीकरण के प्रयास: आजादी के बाद से अब तक हुए चुनाव में पांच बार ठाकुर बिरादरी के विधायकों को क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। वहीं तीन बार मुस्लिमों को भी प्रतिनिधि बनने का अवसर क्षेत्रीय जनता ने दिया है। गत विधानसभा चुनाव में बसपा से अब्दुल वारिस व रालोद के अशरफ अली खान में हुई कांटे की टक्कर का फायदा भाजपा के सुरेश राणा को मिल गया था और महज 265 वोटों के अंतर से वह चुनाव जीत गए थे।
रालोद बनेगा गेम चेंजर : थानाभवन की सीट से समाजवादी पार्टी ने डा.सुधीर पंवार को चुनाव मैदान में उतारा है। राज्य योजना आयोग के सदस्य डा.पंवार पहला चुनाव लड़ रहे हैं। जाट बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले पंवार की निगाह मुस्लिम वोटबैंक पर भी लगी है। रालोद ने जावेद राव का मैदान में उतारकर सभी दलों का गणित गड़बड़ा दिया है। जावेद गत दिनों अजित सिंह की बड़ी रैली कराकर अपनी ताकत भी दिखा चुके हैं। रालोद से जहां सपा और बसपा को मुस्लिम मतों में बंटवारे का डर सता रहा है तो भाजपा भी जाटों का धुव्रीकरण होने से डरी है।

विधानसभा सीट संख्या-9
कुल मतदाता-3,10,307
पुरुष मतदाता-1,70,654
महिला मतदाता-1,39,653
साक्षरता दर-60 प्रतिशत

प्रमुख उम्मीदवार मैदान में
भाजपा – सुरेश राणा
बसपा- राव वारिस
सपा- सुधीर पंवार
रालोद- राव जावेद

चुनावी नतीजे–

वर्ष 2012–
प्रत्याशी पार्टी वोट प्रतिशत
सुरेश राणा- भाजपा 53,719 30.68
अशरफ अली रालोद 53,454 30.52
वारिस खान बसपा 50,001 28.55
किरण पाल सपा 10,198 05.82

वर्ष 2007–
वारिस खान रालोद 41,204 30.56
अनूप सिंह बसपा 35,801 26.38
सुरेश राणा भाजपा 21,791 16.06
किरण पाल सपा 15,965 11.76

वर्ष 2002–
किरणपाल सपा 42,095 31.60
जगत सिंह रालोद 32,393 24.32
सोमांशप्रकाश-निर्दल 32,044 24.06
अनवर बसपा 21,669 16.27

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