यूपी में गन्ने पर मची गदर, सड़कों पर उतरे किसान
बकाया भुगतान और गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी की मांग को लेकर भारतीय किसान यूनियन के हजारों कार्यकर्ताओं ने सोमवार को पूरे पश्चिमी यूपी समेत राज्य के कई हिस्सों में सड़कों को जाम कर दिया। इससे कई किलोमीटर तक वाहनों की लंबी कतार लग गई। कई रूट डायवर्ट करने पड़े।
कई रूटों पर बसों व अन्य वाहनों का संचालन ठप होने से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। आंदोलन के दौरान किसानों ने गन्ने की होली जलाई।
आंदोलन का असर उत्तराखंड और हरियाणा तक देखने को मिला। बुलंदशहर, हापुड़ और गाजियाबाद में भी चक्काजाम से लोग परेशान रहे। हालांकि प्रदेश सरकार के आश्वासन के बाद देर शाम धरना-प्रदर्शन खत्म हो गया।
भाकियू ने एक फरवरी को सड़क जाम करने की चेतावनी दी थी। इसके मद्देनजर किसान सोमवार को सड़कों पर आ डटे। आंदोलन का सबसे ज्यादा असर मेरठ और मुरादाबाद मंडल में देखने को मिला। बरेली में भी इसका असर रहा।
मेरठ बाईपास सात घंटे तक भाकियू कार्यकर्ताओं के कब्जे में रहा। जिससे वाहनों की कई किमी लंबी लाइनें लग गईं। पुलिस ओर प्रशासनिक अधिकारियों के काफी प्रयास के बावजूद भाकियू कार्यकर्ता नहीं माने।
यहां दिखा जाम का सबसे ज्यादा असर
गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर में एनएच-58, गाजियबाद में एनएच-24, बिजनौर में दिल्ली-पौड़ी नेशनल हाईवे, मेरठ बाईपास, मेरठ-करनाल हाईवे, मेरठ-बागपत रोड, दिल्ली-सहारनपुर हाईवे, सहारनपुर में अंबाला-देहरादून हाईवे, मुरादाबाद में दिल्ली-लखनऊ हाईवे, हरिद्वार और संभल में मुरादाबाद-आगरा मार्ग, बरेली में बरेली-बदायूं रोड, पीलीभीत में टनकपुर हाइवे, शाहजहांपुर में नेशनल हाईवे बाधित रहा जहां जाम का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला। जिलों में जगह-जगह लगे जाम से आमजन परेशान रहे। बीमार लोगों और स्कूली बसों को जाम के दौरान नहीं रोका गया।
प्रदर्शन पर भाकियू सुप्रीमो नरेश टिकैत का कहना है कि लखनऊ में संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में शासन के मुख्य सचिव आलोक रंजन से मुलाकात कर समस्याएं रखी थीं। इस पर उन्होंने समस्या के हल के लिए 15 दिन का समय मांगा है।
औरंगाबाद में किसानों की जिद के सामने सपा विधायक को अपना काफिला लौटाना पड़ा। जबकि मोदीनगर में जाम में फंसे डीआईजी (जेल) मेरठ को नहीं निकलने दिया गया। मजबूरन उन्हें वापस लौटना पड़ा।
इसलिए है किसानों में आक्रोश
– तीन साल से गन्ना मूल्य में कोई वृद्घि नहीं, समय पर भुगतान भी नहीं।
– 6500 करोड़ रुपये बकाया है किसानों का दो साल का।
सरकार राहत दे भी रही है तो चीनी मिलों को किसान हाशिये पर।
– 2800 करोड़ रुपये देकर सरकार ने मदद की थी मिलों की।