उत्तर प्रदेशलखनऊ

यूपी में गिरफ्तार हुए डेढ़ हजार नाबालिग, 660 पर गंभीर आरोप

juvenile-30-1-1-1-56794189717c3_exlstबीते वर्ष उत्तर प्रदेश में किशोरों की सर्वाधिक गिरफ्तारियां अपहरण और दुराचार के मामलों में हुई थीं। अपहरण के आरोप में जहां 266 नाबालिग गिरफ्तार किए गए, वहीं 214 को दुराचार के मामले में गिरफ्तार किया गया। 180 गिरफ्तारियां यौन शोषण मामलों में की गईं।

पूरे साल में अलग-अलग अपराधों में कुल 1456 नाबालिग गिरफ्तार किए गए। उत्तर प्रदेश क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार इनमें से 1018 नाबालिगों की उम्र 16 से 18 वर्ष थी। इससे पता चलता है कि राज्यसभा से पारित जुवेनाइल जस्टिस बिल 2015 की उपयोगिता समय के साथ किस कदर बढ़ रही है।

एक ओर जहां बाल अधिकारों पर काम कर रहे संगठनों का दावा है कि किसी अपराध में गंभीर सजा दिलाने के लिए आयु सीमा घटाना समाज पर असर डालेगा, वहीं ये आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि 16 से 18 वर्ष के आयु वर्ग द्वारा किए जा रहे जघन्य अपराध समाज पर पहले से ही बुरा असर डाल रहे हैं।

नए बिल में इस आयु वर्ग पर ज्यादा कठोर सजाओं का प्रावधान अपराधों को कितना रोकेगा, फिलहाल कहना मुश्किल है। बाल अधिकारों पर काम कर रहे जेजेबी लखनऊ के पूर्व सदस्य दिनेश पांडेय कहते हैं कि नए बिल से निश्चित तौर पर अपराधों पर काबू पाने में मदद मिलेगी।नाबालिग द्वारा किए गए अपराधों में उसकी उम्र को लेकर तमाम दस्तावेजी सुबूत जेजे बोर्ड में पेश किए जाते हैं, लेकिन बोर्ड से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक क्लास 10 का सर्टिफिकेट ही सबसे अधिक प्रभावशाली माना जाता है।

यूपी में आ रहे नाबालिगों के मामलों में फर्जी सर्टिफिकेट पेश करने की प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। ऐसे में नए बिल का लाभ गलत लोग न लें, इसलिए केवल 10वीं ही नहीं, नगर निगम के रिकॉर्ड या पंचायत के पास मौजूद परिवार रजिस्टर को भी बराबर महत्व दिया जाना चाहिए।

सरकार ने जुवेनाइल जस्टिस बिल केयर एंड प्रोटेक्शन 2015 बनाया है, यह केयर एंड प्रोटेक्शन हर बच्चे को सरकार खुद नहीं दे सकती, लेकिन हर माता-पिता अपने बच्चों को भली-भांति दे सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता को अपने बच्चों के व्यवहार के प्रति जिम्मेदार माना जाए।

अगर नाबालिग कोई जघन्य अपराध करे तो इसके लिए माता-पिता को भी जिम्मेदार मानते हुए जुर्माना लगाया जाए। नाबालिग के अपराध करने के बाद अगर मां-बाप उसे छिपाते हैं या बचाने की कोशिश करते हैं तो उन पर अपराधी का साथ देने व सुबूत मिटाने का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

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