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यूपी में दिखेगी ‘वीमेन पॉवर’, साथ रैली करेंगी डिंपल-प्रियंका

महिलाओं और युवा वोटरों को सपा-कांग्रेस गठबंधन के पाले में खड़ा करने के लिए अब प्रियंका वाड्रा और डिंपल यादव को भी प्रचार के मोर्चे पर आगे करने का खाका तैयार किया गया है।
प्रियंका व डिंपल की दो साझा रैलियों पर तकरीबन सहमति भी बन गई है। एक रैली इलाहाबाद या वाराणसी तथा दूसरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित है। इसके अलावा गठबंधन के पक्ष में माहौल बनाने के लिए प्रियंका व डिंपल का रोड शो कराने पर भी मंथन चल रहा है।

चुनावी गठबंधन के बाद सपा और कांग्रेस प्रदेश में सत्ता हासिल करने के लिए हर दांवपेंच आजमाने की तैयारी में हैं। राहुल और अखिलेश की सियासी जुगलबंदी को धार देने के लिए कांग्रेस की ओर से प्रियंका व सपा की ओर से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी व सांसद डिंपल यादव को भी प्रचार अभियान में उतारने की रणनीति तैयार की गई है।

डिंपल के लिए अमेठी व रायबरेली से बाहर भी आ सकती हैं प्रियंका

कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि प्रियंका अमेठी और रायबरेली के बाहर बहुत ज्यादा सक्रिय रहने की इच्छुक नहीं हैं, लेकिन डिंपल के साथ कुछ जगहों पर मंच साझा कर सकती हैं।
दरअसल, प्रियंका यूपी विधानसभा चुनाव में पहली बार अमेठी और रायबरेली के बाहर अपना सियासी दांव आजमाएंगी।

प्रियंका को पूरी तरह यूपी में ही केंद्रित रखने के लिए पार्टी ने उन्हें अन्य चुनावी राज्यों में स्टार प्रचारक बनाने से परहेज किया है।

पार्टी के चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इसकी पटकथा तैयार कर ली है। माहौल बनाने के लिए पूर्वांचल और पश्चिम में दोनों महिला नेताओं की एक-एक साझा रैली कराने के साथ कुछ जगहों पर रोड शो के लिए भी बातचीत चल रही है।

परंपरागत वोटरों को साधने के लिए अलग-अलग मुहिम

पक्ष में माहौल बनाने के लिए सपा-कांग्रेस साझा प्रचार अभियान चलाने के अलावा परंपरागत वोटरों को साधने के लिए अलग-अलग मुहिम भी चलाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर चाहते हैं कि बिहार की तर्ज पर धुआंधार साझा रैलियां और रोड शो के बजाय यूपी में चार प्रमुख क्षेत्रों में एक-एक साझा रैली और रोड शो का आयोजन किया जाए।

इसके बाद दोनों दल अपने परंपरागत मतदाताओं को साधने के लिए अलग-अलग मुहिम चलाएं। इसी रणनीति के तहत राहुल-अखिलेश युवा मतदाताओं पर तो प्रियंका-डिंपल महिला मतदाताओं को साधने की मुहिम में जुटेंगी।

दोनों ही दलों के रणनीतिकारों ने साझा रैलियों से पहले और बाद की स्थिति की जानकारी हासिल करने की भी व्यवस्था की है। इनके बाद लोगों का मूड भांपते हुए भावी रणनीति तय करने पर भी सहमति बनी है।

 

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