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यूपी हो या गुजरात, कही भी हो आखिरी समय में बाजी मार ही लेते हैं पीएम मोदी-शाह

राजनीति के पंडित गुजरात और हिमाचल के विधानसभा चुनाव को लेकर चाहे जो भविष्यवाणी करें, लेकिन भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्षमता पर भरपूर भरोसा करती है। पार्टी में एक सुर से यह आम है कि पीएम मोदी आखिरी समय तक हर बाजी जीत लेने का माद्दा रखते हैं। यही सवाल 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय में नेताओं के सामने रखने पर वह भी मौन स्वीकृति के साथ इसे मान लेते हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ महासचिव का कहना है कि मोदी को आखिरी समय में भी किसी अवसर को भरपूर तरीके से भुनाना आता है।
यादों में बसी है मौत के सौदागर वाली टिप्पणी
कांग्रेस पार्टी के नेता 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से की गई मौत के सौदागर की टिप्पणी को अभी तक नहीं भूले हैं। 2007 के चुनाव में गुजरात में कैंप कर चुके पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि चुनाव प्रचार अभियान ठीक रास्ते पर चल रहा था, लेकिन जैसे ही कांग्रेस अध्यक्ष ने जन सभा में यह टिप्पणी की, तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री ने इसे भुना लिया।

वह विधानसभा चुनाव को सांप्रदायिक रंग देने में सफल हो गए। इसी तरह से यूपी  के विधानसभा  चुनाव 2017 में भी पीएम के प्रचार अभियान ने आखिरी समय में पूरी बाजी पलट कर रख दी थी। यहां तक कि उम्मीद से परे पीएम ने चुनाव के अंतिम चरण में बनारस में हाई वोल्टेज चुनाव प्रचार अभियान चलाकर बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया था। उनकी इस रणनीति ने न केवल विरोधियों को निराश करना शुरू कर दिया था, बल्कि उन्हें दूसरे-तीसरे चरण के चुनाव के बाद से ही अपने प्रचार अभियान की रणनीति बदलने पर विवश होना पड़ा था।

ये है पीएम मोदी की खासियत
पीएम मोदी अलहदा हैं। अथक परिश्रम उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन चुका है। पीएम के बारे में आम है कि उन्हें बस अर्जुन की तरह चिडिय़ा की बस आंख (लक्ष्य) दिखाई देती है। इसके लिए आखिरी दम तक हर विकल्प पर न केवल विचार करते हैं, बल्कि सही संभावना को टटोलकर कमजोर कड़ी पहचान में आते ही उस पर पूरी रणनीति के साथ आगे बढ़ जाते हैं।

पीएम के इस कौशल के आगे उनका हर विरोधी मझधार में आकर पस्त होने लगता है। इसके लिए पीएम होमवर्क पर भरपूर भरोसा करते हैं। पीएम मोदी के एक विश्वासपात्र का कहना है कि उनकी टीम में शामिल हर व्यक्ति बस कर्म करने और फल की इच्छा न रखने वाले गीता के उपदेश को सूत्र वाक्य मानकर चलने वाला होता है।

अमित शाह का कोई जवाब नहीं

पीएम मोदी और शाह की जोड़ी पर गुजरात कॉडर का कोई अफसर भी कुछ नहीं कहता। शाह पीएम मोदी के डिजाइन को संकेत मात्र में समझते हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री के अनुसार शाह उसे समझते ही नहीं बल्कि उसे सफल बनाने के लिए प्रयास करने का कोई उपाय नहीं छोड़ते। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजीव प्रताप रूडी ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान अमित शाह के बारे में बताते हुए कहा था कि जहां से लोगों की सोच खत्म होती है, उसके आगे शाह सोचना शुरू करते हैं।

इसी का नतीजा है कि मोदी-शाह की जोड़ी अटल-आडवाणी की जोड़ी से भी मजबूत स्थान बनाने, भाजपा को एक सूत्र में पिरोने, केंद्र और पार्टी की निचली ईकाई  तक तालमेल बनाने, पार्टी के नेताओं को अनुशासन में रखने में लगातार सफल रही है।

कांग्रेस का अज्ञात भय
कांग्रेस पार्टी जहां हर निर्णय लेने से पहले जरूरत से ज्यादा ठोंकने बजाने के लिए मशहूर है, वहीं अमित शाह के नेतृत्व वाली भाजपा होमवर्क के बाद निर्णय लेने में देर नहीं लगाती। टीम मोदी-शाह का यह पक्ष कांग्रेस के नेताओं को अज्ञात भय की तरह घेरे रहता है। हालांकि इस समय कांग्रेस पार्टी उच्च स्तर पर सतर्कता बरत रही है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के इर्द-गिर्द पार्टी के रणनीतिकार हर स्थिति पर नजर रख रहे हैं। गुरुद्वारा रकाबगंज से लेकर शिमला और गुजरात के अहमदाबाद, सूरत, वड़ोदरा तक लगातार नजर रखी जा रही है। किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए पार्टी छोटे से लेकर बड़े मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं की राय को लेकर पूरी तरह से संवेदनशील है।

 

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