देश में खाद्य सुरक्षा कानून आने के बाद जहां एक ओर दस हजार करोड रुपये से अधिक की लागत से २०० से अत्याधुनिक भंडारगृहों का निर्माण कराया जा रहा है। वहीं भारतीय खाद्य निगम के लाखों टन क्षमता के गोदाम ऐसे ही खाली पडे है।
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास फाउंडेशन एनएचआरडीएफ के सूत्रों के अनुसार कुल २०० भंडारगृहों में से सार्वजनिक निजी भागीदारी से १५० भंडारगृहों का निर्माण यूरोपीय तकनीक के आधार पर कराया जा रहा है।प्रत्येक भंडारगृह के निर्माण पर पचास से साठ करोड रुपये खर्च होंगे और यह दो से तीन वर्ष में बनकर तैयार हो जायेगा। अधिकांश भंडारगृहों की भंडारण क्षमता पचास.पचास हजार टन की है।आधुनिक भंडारगृहों का निर्माण आठ राज्यों बिहाऱ हरियाणा़ मध्यप्रदेश़पंजाब,पश्चिम बंगाल असम केरल और महाराष्ट्र में कराया जायेगा।बिहार में कुल दो लाख टन क्षमता के गोदामों के निर्माण का निर्णय लिया गया है।हरियणा में कुल तीन लाख टन क्षमता के गोदामों का निर्माण भट्टू,जींद, करनाल, पलवल,रोहतक और सोनीपत में कराया जायेगा मध्य प्रदेश में ५०-५० हजार टन क्षमता के गोदामों का निर्माणसात स्थानों पर कराया जायेगा। सीहोर,जबलपुर,रायसेन,विदिशा, गुना,होशंगाबाद और उज्जैन में गोदामों का निर्माण होगा। पंजाब में सबसे अधिक चार लाख टन क्षमता के भंडारगृहों के निर्माण का निर्णय लिया गया है। बरनाला, छेहरेट्टा, पटियाला, जलालाबाद, किला रायपुर और बटाला में गोदामों का निर्माण होगा। पश्चिम बंगाल में कुल दो लाख टन क्षमता के गोदामों का निर्माण रगापानी,मालदा,दनकुनी, और मेचेदा में होगा।असम के गुवाहाटी और डिब्रुगढ तथा केरल के एर्नाकुलम और कालीकट में २५-२५ हजार टन क्षमता के गोदामों का निर्माण होगा। महाराष्ट्र के पुणे और नागपुर में ५०-५० हजार टन क्षमता के गोदामों का निर्माण कराया जायेगा।