यूरोप में बढ़ रहा है शरणार्थियों के खिलाफ माहौल
(प्रहरीपोस्ट/एजेन्सी) बीजिंग: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सर्वाधिक गंभीर शरणार्थी संकट से गुजर रहे यूरोप में तेजी से माहौल शरणार्थियों को शरण देने के खिलाफ बनता जा रहा है, जिसके कारण यूरोपीय संघ के राजनेताओं पर आव्रजन संबंधी नीति को लेकर दबाव भी बढ़ता जा रहा है। उल्लेखनीय है कि बर्फीली सर्दियों में भी यूरोप में शरणार्थियों का पहुंचना जारी है।
पुलिस ने शनिवार को बताया कि स्वीडन के स्टॉकहोम में दर्जनों की संख्या में नकाब पहने लोग शुक्रवार की रात इकट्ठा हुए और युवा शरणार्थियों पर हमला करने के लिए उकसाने वाले पोस्टर बांटे, जिसके बाद दो संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया गया। चरमपंथियों द्वारा ‘अकेले घूम रहे शरणार्थी बच्चों के खिलाफ हमले’ की योजना का खुलासा होने के बाद शुक्रवार की देर रात पुलिस ने शहर के मध्य हिस्से में सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ा दी और इसके अलावा दंगा-रोधी इकाई एवं हेलीकॉप्टर भी तैनात कर दिए गए।
स्वीडन की सरकार ने इसी सप्ताह इससे पहले घोषणा की थी कि वह अगले कुछ वर्षों में 80,000 शरणार्थियों को उनके देश वापस भेजने की योजना बना रही है। उधर ब्रिटेन के डोवर स्थित केंट काउंटी के एक कस्बे में शनिवार को शरणार्थी-विरोधी एवं नस्लीय भेदभाव-विरोधी गुटों के बीच झड़प हो गई। मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार झड़प के दौरान धुएं वाले बम छोड़े गए और पथराव भी हुआ।
जर्मनी में हालात और खराब हैं। पुलिस के अनुसार, दक्षिण पश्चिम जर्मनी के एक कस्बे में शनिवार को दक्षिणपंथ के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे 80 समर्थकों ने ‘तानाशाह के विरोध में निकाले जा रहे जन-आंदोलन, जिसमें शरणार्थी भी शामिल थे’ में शामिल लोगों पर हमला कर दिया था। जर्मनी के न्याय मंत्री हेइको मास ने कहा कि यह हमला ‘घृणा और हिंसा’ के नए स्तर को दर्शाता है और स्थानीय एवं संघीय अधिकारियों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
जर्मनी में बीते वर्ष करीब 11 लाख शरणार्थी पहुंचे, हालांकि वहां शरणार्थियों पर हमले की वारदातें लगातार बढ़ती जा रही हैं। जर्मनी में पिछले वर्ष शरणार्थी शिविरों को निशाना बनाकर 1000 से अधिक हमले किए गए, जो 2014 से पांच गुना अधिक है। इनमें से 900 से ज्यादा हमले दक्षिणपंथी चरमपंथियों द्वारा किए गए।