अधिकांश लोग असफलता बर्दाश्त नहीं कर पाते और इस बात से शर्मिंदगी महसूस करते हैं कि लोग क्या कहेंगे। इसकी वजह से व्यक्ति में बहुत-सा गुस्सा भी पैदा हो जाता है। यदि किसी व्यक्ति को असफलता मिलती है तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, यहां जानिए…
1. गलतियां सुधारकर आगे बढ़ना चाहिए
असफलता के लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार होते हैं। असफलता से सीखने के लिए यह जरूरी है कि हम उसे स्वीकारें, फिर उसका विश्लेषण करें। विश्लेषण के बाद हमें मालूम हो जाता है कि हमने कहां-कहां गलतियां की हैं। इन्हें सुधार कर हम आगे बढ़ सकते हैं।
2. बुद्धिमान से मार्गदर्शन लें
असफलता के समय में किसी बुद्धिमान व्यक्ति का मार्गदर्शन लेना चाहिए। किसी का मार्गदर्शन लेने को कमजोरी नहीं मानना चाहिए, बल्कि यह हमारी विनम्रता का प्रतीक है।
3. सकारात्मक सोच बनाएं
हर असफलता में सफलता के अवसर देखने की सलाह सभी विद्वान लोगों द्वारा दी जाती है। इस तरह की सकारात्मक सोच से दुनिया में नाकामी के बाद बड़े-बड़े आविष्कार हुए हैं। नाकामी में ही सफलता के लिए रास्ते छिपे होते हैं, जिन्हें खोजने की आवश्यकता होती है।
संत मोरारी बापू का संक्षिप्त परिचय
गुजरात के भावनगर जिले के गांव तलगाजरड़ा (महुआ तहसील) में जन्मे संत मोरारी बापू रामकथा प्रवचनकारों में सबसे आगे हैं। 1947 में शिवरात्रि पर जन्मे मोरारी बापू की सादगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनियाभर में लाखों लोगों की आस्था का केंद्र होते हुए भी वे अपने उसी गांव में परिवार के साथ रहते हैं, जहां उनका जन्म हुआ था। अभी तक करीब 700 से ज्यादा बार रामकथा कर चुके बापू ने भारत सहित दुनियाभर के सभी बड़े देशों की यात्रा की है। बापू देश और दुनिया के उन गिने-चुने संतों और गुरुओं में शामिल हैं, जिन्होंने कैलाश मानसरोवर (तिब्बत) में कथा-प्रवचन किए हैं। 14 साल की कम उम्र से रामकथा का गायन शुरू करने वाले बापू लगभग 50 साल से रामकथा पर अपनी खास शैली में लोगों को कथा का रसपान करा रहे हैं। अपनी नौ दिनी कथा में बापू श्रीरामचरित मानस की एक चौपाई लेकर पूरे नौ दिन उस पर विस्तार से विभिन्न विषयों पर व्याख्या करते हैं। कथा के मूल में समाज कल्याण, शांति, सच्चाई, प्रेम और दया की भावना निहित होती है। बापू प्रवचनों में सिर्फ हिंदू धर्म ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों के आधार पर भी जीवन प्रबंधन के सूत्र बताते हैं।